tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post1063365738360428002..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: पुराने ज़माने की माँSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-65999526345802957332012-12-24T12:03:06.563+05:302012-12-24T12:03:06.563+05:30इस ‘दकियानूस’ माँ की
कही बात हर बात ... सच है
हर ...इस ‘दकियानूस’ माँ की<br />कही बात हर बात ... सच है <br />हर शब्द मन के गहरे उतरता हुआ <br />बेहद सशक्त रचना <br />आभार सहित<br /><br />सादर<br /><br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-91361712127309076492012-12-24T11:44:05.814+05:302012-12-24T11:44:05.814+05:30http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_24...http://urvija.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_24.htmlरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-14216450637751522662012-12-23T13:05:41.576+05:302012-12-23T13:05:41.576+05:30प्रभावपूर्ण तरीके से आपने इस समस्या को उठाया है. इ...प्रभावपूर्ण तरीके से आपने इस समस्या को उठाया है. इस प्रश्न का जबाव सभी चाहते हैं.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-15838985277329209802012-12-22T17:02:04.197+05:302012-12-22T17:02:04.197+05:30@ श्री वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी ! बेटी के प्रति मा...@ श्री वीरेन्द्र कुमार शर्मा जी ! बेटी के प्रति मां की दुश्चिंता जानने के लिए हो सकता है कि मां बनना पड़े लेकिन बेटी की सुरक्षा की चिंता एक बाप भी बूझ सकता है।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-29433591731053337112012-12-21T16:18:08.896+05:302012-12-21T16:18:08.896+05:30सोचने पर मजबूर करती अति संवेदन शील रचना... आभार सोचने पर मजबूर करती अति संवेदन शील रचना... आभार संध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-86025707914767627512012-12-21T13:20:37.650+05:302012-12-21T13:20:37.650+05:30
डॉ .अनवर ज़माल आप विषय ही ,पोस्ट की प्रस्तावना ही...<br />डॉ .अनवर ज़माल आप विषय ही ,पोस्ट की प्रस्तावना ही अदबदाके बदल रहें हैं .एक माँ की दुश्चिंता बेटी के प्रति है यहाँ रही बात कन्या भ्रूण हत्या की ,पत्नी के गर्भ धारण की ,इस पर आज भी <br /><br />पुरुष का ही वर्चस्व है ,एक माँ की दुश्चिंता बूझने के लिए ,माँ बनना पड़ेगा virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-91308628414477468342012-12-21T08:00:15.398+05:302012-12-21T08:00:15.398+05:30 वाह बहुत ही सुन्दर....संवेदनशील रचना वाह बहुत ही सुन्दर....संवेदनशील रचनासंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-26256973849887962832012-12-20T15:26:57.814+05:302012-12-20T15:26:57.814+05:30बेटी के प्रति सुरक्षा को ले कर एक माँ की चिंता ....बेटी के प्रति सुरक्षा को ले कर एक माँ की चिंता ... और इसी लिए वो सीख दे रही है .... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति । संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-44143933691541735352012-12-20T13:38:52.136+05:302012-12-20T13:38:52.136+05:30बस सोच रही हूँ माँ
कितनी सार्थक थी तुम्हारी बातें...बस सोच रही हूँ माँ <br />कितनी सार्थक थी तुम्हारी बातें <br />मैं भी बनी हूँ पुराने ज़माने की माँ रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-55624281179115466382012-12-20T11:31:01.655+05:302012-12-20T11:31:01.655+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (21-12-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच-११०० (कल हो न हो..)</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ...!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-34431295887918088172012-12-20T11:09:38.857+05:302012-12-20T11:09:38.857+05:30संवेदनशील रचना...संवेदनशील रचना...मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-82736539716981992532012-12-20T08:50:28.270+05:302012-12-20T08:50:28.270+05:30maa apne kathit dakiyanusi soch ko kaise badle jab...maa apne kathit dakiyanusi soch ko kaise badle jab tak ki ye purush apni nazar, apni soch nahi badalta.<br /><br />ek jagruk, samvedansheel maa ki beti ke prati chinta vazib hai.<br /><br />kavita thodi lambi ho gayi hai lekin vishay aisa hai ki iski lambayi nazarandaaz ho jati hai.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-59933331995179968402012-12-20T07:11:03.682+05:302012-12-20T07:11:03.682+05:30यह दकियानूसी नहीं है , चिंता है अपने बच्चों की जो ...यह दकियानूसी नहीं है , चिंता है अपने बच्चों की जो उन्हें सुरक्षित देखना चाहती है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-84010262440351058142012-12-19T20:07:56.984+05:302012-12-19T20:07:56.984+05:30प्रभावशाली सीख देती उत्कृष्ट रचना,,
recent post: ...प्रभावशाली सीख देती उत्कृष्ट रचना,,<br /><br />recent post<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/12/blog-post_17.html#links" rel="nofollow">: वजूद,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-49412359657254112752012-12-19T19:38:20.506+05:302012-12-19T19:38:20.506+05:30कोमल भावो की अभिवयक्ति......कोमल भावो की अभिवयक्ति......विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-38757145918253143352012-12-19T18:36:16.990+05:302012-12-19T18:36:16.990+05:30उम्दा रचना|
आशा उम्दा रचना|<br />आशा Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-70943355154923158752012-12-19T14:35:26.344+05:302012-12-19T14:35:26.344+05:30पहले लड़कियाँ घर में रहती थीं तो ज्यादा सुरक्षित थ...पहले लड़कियाँ घर में रहती थीं तो ज्यादा सुरक्षित थीं...आज की लड़कियों पर दोहरा दबाव है...अपना केरियर बनाना है तो बाहर निकलना ही पड़ेगा और हर समय कोई साथ रहे यह सम्भव नहीं...इस तरह की घटनाएँ खौफ पैदा कर देती हैं|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-74325821674044949092012-12-19T13:47:36.991+05:302012-12-19T13:47:36.991+05:30मा!ं की भावनाए सर्वोपरी होती है जमाना कितने भी बदल...मा!ं की भावनाए सर्वोपरी होती है जमाना कितने भी बदल जाए..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-57809618085743361382012-12-19T13:32:42.135+05:302012-12-19T13:32:42.135+05:30ab to bahut dar lagne laga hai har ma ko kaash ham...ab to bahut dar lagne laga hai har ma ko kaash hamari betiyon me itni takat hoti ki ve darindon ka naash kar paati .......Dr. sandhya tiwarihttps://www.blogger.com/profile/15507922940991842783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-56905220202203082912012-12-19T13:03:47.563+05:302012-12-19T13:03:47.563+05:30sach bayan kar rahi kavita ke lie aabhar !sach bayan kar rahi kavita ke lie aabhar !रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-55954268705718267092012-12-19T12:40:00.174+05:302012-12-19T12:40:00.174+05:30अत्यंत प्रभावशाली रचना ...
बहुत कुछ सोचने पर बाध्य...अत्यंत प्रभावशाली रचना ...<br />बहुत कुछ सोचने पर बाध्य कर रही है ...<br />Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-51257539614021953932012-12-19T12:03:46.571+05:302012-12-19T12:03:46.571+05:30जब भी कोई ऊपर वाले पर कोई इल्ज़ाम लगाता है तो यह उ...जब भी कोई ऊपर वाले पर कोई इल्ज़ाम लगाता है तो यह उनके दिल पर क़ियामत की तरह टूटता है जो सत्य जानते हैं। सत्य यह है कि उस पालनहार प्रभु ने किसी पर कोई ज़ुल्म नहीं किया है। उसने मुनष्य को पेड़-पौधों और पशुओं से उच्चतर चेतना दी है। पेड़-पौधे और पशु सभी अपने स्वाभाविक कर्तव्य अंजाम देते हैं लेकिन यह इंसान ही है जो कि अपने अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करता है। परस्पर सहयोग के बजाय शोषण कौन करता है ?<br />यह काम इंसान करता है। <br />जो शोषण की शिकायत करता है, वही दूसरे स्तर पर ख़ुद शोषण करता हुआ नज़र आएगा। अपनी बहुओं से दहेज का लालच न रखने वाली और दूसरों का उदाहरण देकर उसके दिल को न जलाने वाली सास ननदें कितनी हैं ?<br />दहेज हत्या से लेकर कन्या भ्रूण हत्या तक, दर्जनों घिनौने अपराध बिना औरत के सहयोग के संभव ही नहीं हैं।<br />तांत्रिकों और बाबाओं को अपना रूपया और अपनी अस्मत देने के लिए औरत ख़ुद चलकर उनके डेरे पर जाती है। जो पढ़ी लिखी होने का दंभ रखती हैं और बाबाओं के पास नहीं जातीं, वे हीरोईनें और मॉडल्स बनकर दुनिया के सामने ख़ुद को परोसती हैं। पर्दे के पीछे उनके साथ क्या होता है ?, इसकी कहानियां भी समय समय पर सामने आती रहती हैं। वे तो आग भड़काकर पीछे हट जाती हैं लेकिन क्लिंटन अपने ऑफ़िस की किसी न किसी लेविंस्की को थाम ही लेता है। लेविंस्की न मिले तो अपने ब्वायफ़्रेंड के साथ देर रात अकेले घूमती हुई कोई आधुनिका ही सही। जागरूक शिक्षित कन्याएं आजकल गर्भनिरोधक गोलियां खा रही हैं और लिव इन रिलेशनशिप में रहकर अपनी मर्ज़ी से अपना शोषण करवा रही हैं।<br />ईश्वर की एक निर्धारित व्यवस्था है, जिसका नाम सब जानते हैं। जब आदमी या औरत उससे बचकर किसी और मार्ग पर निकल जाए तो फिर वह जिस भी दलदल में धंस जाए तो उसके लिए वह ईश्वर को दोष न दे बल्कि ख़ुद को दे और कहे कि मैं ही पालनहार प्रभु के मार्गदर्शन को छोड़कर दूसरों के दर्शन और अपनी कामनाओं के पीछे चलता रहा/चलती रही।<br /><b><br />परमेश्वर तो लोगों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता, किन्तु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते है (44) जिस दिन वह उनको इकट्ठा करेगा तो ऐसा जान पड़ेगा जैसे वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे। वे परस्पर एक-दूसरे को पहचानेंगे। वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग न पा सके (45)<br />सूरा ए यूनुस आयत 44 व 45</b><br /><br />आदमी आज भी वही है जोकि वह आदिम युग में था। समय के साथ साधन बदलते हैं लेकिन प्रकृति नहीं बदलती। बुरे लोगों की बुराई से बचने के लिए अच्छे लोगों को संगठित होकर अच्छे नियमों का पालन करना ही होगा। इसके सिवाय न पहले कोई उपाय था और न आज है।<br />See: <br />http://commentsgarden.blogspot.in/2012/12/blog-post.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com