tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post2905728271815462178..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: सचमुच तुम केवल पत्थर होSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-64150611641982208682019-04-15T23:48:15.852+05:302019-04-15T23:48:15.852+05:30लेकिन ऐसा तभी करोगे मन पर पीड़ा से कातर हो
सचमुच त...लेकिन ऐसा तभी करोगे मन पर पीड़ा से कातर हो <br />सचमुच तुम केवल पत्थर हो !<br />अच्छे लोग जब को भगवान की परीक्षा समझकर आजीवन दुख उठाते हैं तब मन यही कहता है<br />बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना...<br />वाह!!!Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-44013793746359029442019-04-15T15:06:31.886+05:302019-04-15T15:06:31.886+05:30हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका कामिनी जी ! निराशा स...हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका कामिनी जी ! निराशा से भरे मन का प्रलाप है यह जब उसके आराध्य उसके हर दुःख हर पीड़ा से आँखें मूँद लेते हैं और निष्ठुर पाषाण की तरह मंदिर में विराजे रहते हैं ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-81523427264676518212019-04-15T15:04:01.480+05:302019-04-15T15:04:01.480+05:30विकल मन की आर्त पुकार है मीना जी ! आपका बहुत बहुत ...विकल मन की आर्त पुकार है मीना जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-4746734641979484152019-04-15T15:02:44.284+05:302019-04-15T15:02:44.284+05:30आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी म...आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी मेरी इस पुरानी रचना को आज के हमकदम के समकक्ष लाने के लिए ! इन दिनों व्यस्तता अपने चरम पर है ! सप्रेम वन्दे !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-82294083806855903282019-04-15T13:42:46.221+05:302019-04-15T13:42:46.221+05:30हाँ ,दुःख दर्द से व्यथित मन हार कर भगवान से ही शिक...हाँ ,दुःख दर्द से व्यथित मन हार कर भगवान से ही शिकवा करेगा न ,ये भी तो भक्ति का एक रूप ही हैं ,सादर नमस्कार दी Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-52772337182692019792019-04-15T11:01:07.948+05:302019-04-15T11:01:07.948+05:30ना जाने कौन है दोषी, मानव या भगवान ? आसपास जितना द...ना जाने कौन है दोषी, मानव या भगवान ? आसपास जितना देखा, उसमें अच्छे और भले लोगों की तकदीर में दुःख और दुराचारियों की तकदीर में सुख, यही पाया। <br />ईश्वर की सत्ता और उसके न्याय में पूर्ण विश्वास होते हुए भी मन कभी कभी विद्रोही होकर यह प्रश्न कर ही उठता है - क्या तुम सचमुच पत्थर हो ?Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-75277286088051934182011-07-11T18:09:45.732+05:302011-07-11T18:09:45.732+05:30मुझे इसलिए मंदिरों और मूर्तियों में उतनी आस्था नही...मुझे इसलिए मंदिरों और मूर्तियों में उतनी आस्था नहीं है... इश्वर मन में है और वहीँ रहेगा.. ऐसे बड़े-बड़े प्रांगणों में वो नहीं मिलते.. वहां तो खजाने ही मिलते हैं..<br /><br /><a href="http://bitspratik.blogspot.com/2011/07/blog-post.html" rel="nofollow">परवरिश</a> पर आपके विचारों का इंतज़ार है..<br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-85574971124014490782011-07-08T20:31:33.023+05:302011-07-08T20:31:33.023+05:30भगवान उवाच -
हे देवी !
दुखी बहुत हूँ मैं भी
देख-...भगवान उवाच -<br />हे देवी ! <br />दुखी बहुत हूँ मैं भी <br />देख-देख यह मानव लीला <br />मैं तो सदा भाव का भूखा <br />जाने क्यों ये कनक घटों में<br />कनक चढ़ाया करते हैं. <br />जिस दिन पहला कनक चढ़ा था<br />तब से <br />निर्वासित जीवन जीता हूँ <br />मैं पीड़ा में...... <br />मैं करुणा में ......<br />और अकिंचन के उर में <br />तब भी था <br />अब भी हूँ <br />मैं सदियों से <br />मंदिर के बाहर <br />भिक्षु पंक्ति में बैठा हूँबस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-55107498515866531982011-07-07T22:06:17.767+05:302011-07-07T22:06:17.767+05:30बहुत अच्छी रचना....बहुत अच्छी रचना....वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-16119353448959363692011-07-07T19:13:36.466+05:302011-07-07T19:13:36.466+05:30सचमुच प्राणी ..आतंरिक जगत जहां प्रभु का निवास ह...सचमुच प्राणी ..आतंरिक जगत जहां प्रभु का निवास है वहाँ से विमुख होकर बाह्य जगत के भोग विलास की वस्तुओं का संग्रहकर्ता बन बैठा है ..ऐसे संसार में भावुक मन सचमुच ये कह उठता है ..सचमुच तुम पत्थर हो...<br />बहुत ही भावुक प्रस्तुति...सादर अभिन्दन !!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16174745947449762169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-12522874944536628862011-07-07T14:38:28.604+05:302011-07-07T14:38:28.604+05:30बेहतरीन!
सादरबेहतरीन!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-68161811181226085692011-07-07T09:08:47.556+05:302011-07-07T09:08:47.556+05:30मौजूदा दौर में हमें हर वक्त दोराहे पर खड़ा किया जा...मौजूदा दौर में हमें हर वक्त दोराहे पर खड़ा किया जाने लगा है| हमारे 'हम' से जुड़ीं कई सारी बुराइयाँ चुन चुन कर हमारे समक्ष लाई जा रही हैं| यह गलत भी नहीं है, हर बार - हर जगह|<br /><br />साथ ही ये बात भी मन मस्तिष्क को बार बार मजबूर करती है सोचने के लिए - शेष दुनिया में कितनी अच्छाइयाँ शेष हैं????????????????<br /><br />मुझे पूर्ण विश्वास है, बाकी मित्र भी मेरी तरह ही अपनी अपनी टिप्पणी चिपका के चल देंगे|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-52851515901488688992011-07-06T13:07:33.192+05:302011-07-06T13:07:33.192+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 07-07- 201...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 07-07- 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com/" rel="nofollow"> नयी पुरानी हल चल में आज- प्रतीक्षारत नयनो में आशा अथाह है - </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-73920896557267043922011-07-06T12:26:50.819+05:302011-07-06T12:26:50.819+05:30बेजोड़ रचना है आपकी साधना जी...बधाई स्वीकारें
नीर...बेजोड़ रचना है आपकी साधना जी...बधाई स्वीकारें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-2601766920121456792011-07-06T07:54:21.016+05:302011-07-06T07:54:21.016+05:30बहुत सार्थक रचना है ....
जब मंदिरों में एकत्रित पू...बहुत सार्थक रचना है ....<br />जब मंदिरों में एकत्रित पूँजी मिलती है ...यही प्रश्न उठाते हैं मन में ....!!<br />बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ..Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-77217291193942793572011-07-06T06:57:03.392+05:302011-07-06T06:57:03.392+05:30"जो बन बैठे खुद ही भगवान ---
भक्तों को मरने &..."जो बन बैठे खुद ही भगवान ---<br />भक्तों को मरने " <br />अच्छी पोस्ट के लिए बधाई <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-61305734900552575352011-07-05T21:43:40.312+05:302011-07-05T21:43:40.312+05:30इश्वर क्या करे ये तो भक्तो का किया है..??इश्वर क्या करे ये तो भक्तो का किया है..??आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-77128540077965563182011-07-05T20:52:37.014+05:302011-07-05T20:52:37.014+05:30लेकिन ऐसा तभी करोगे मन पर पीड़ा से कातर हो !
सचमुच...लेकिन ऐसा तभी करोगे मन पर पीड़ा से कातर हो !<br />सचमुच तुम केवल पत्थर हो !<br /><br />सत्य को बहुत सुन्दर भावों और शब्दों से चित्रित किया है..हरेक पंक्ति अंतस को छू जाती है..आज के हालात देख कर तो सच में कहना पडता है सचमुच तुम केवल पत्थर हो. एक उत्कृष्ट प्रस्तुति..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-87601439214845637672011-07-05T20:47:27.945+05:302011-07-05T20:47:27.945+05:30मन की संवेदनाओं को सार्थक शब्द दिए हैं ... लोगों क...मन की संवेदनाओं को सार्थक शब्द दिए हैं ... लोगों की आस्था ने सच ही भगवान को पत्थर का बना दिया है ... भगवान ने तो नहीं चाह होगा यह धन ..हीरे , मोती माणिक .. यह हमारा विश्वास है जो पत्थर के आगे सिर झुकाता है ...<br /><br />बहुत अच्छी रचना ..सोचने पर विवश करती हुई ... मंदिरों का पैसा सरकार के संरक्षण में जाने पर क्या सुरक्षित रह जायेगा ? यह गंभीर प्रश्न है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-49408484782826242412011-07-05T20:36:57.842+05:302011-07-05T20:36:57.842+05:30bahut sunder shabdo se shobha mandit kiya hai. apk...bahut sunder shabdo se shobha mandit kiya hai. apke shabdo ka hi asar hai ki iska seedha asar ho raha hai har dil par.<br /><br />bahut bahut sarthak lekhan.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-38829291285295622682011-07-05T18:33:20.249+05:302011-07-05T18:33:20.249+05:30प्रभु की लीला प्रभु ही जाने.प्रभु की लीला प्रभु ही जाने.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-92024181592699408172011-07-05T17:02:20.283+05:302011-07-05T17:02:20.283+05:30आस-पास के हालात देख तो सचमुच मन कह उठता है...
सचम...आस-पास के हालात देख तो सचमुच मन कह उठता है...<br /><br />सचमुच तुम केवल पत्थर हो !rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com