tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post3995895102056600712..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: अबूझे सवालSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-76179115804613455582010-11-13T11:47:42.022+05:302010-11-13T11:47:42.022+05:30"हम से वफा की ------फिर ऊंचे फलक पर यूँ बिठाय..."हम से वफा की ------फिर ऊंचे फलक पर यूँ बिठाया क्यूँ था "<br />बहुत अच्छी पंक्तियाँ |सुंदर भाव |बहुत बहुत बधाई <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-90569707916265226702010-11-12T18:42:07.686+05:302010-11-12T18:42:07.686+05:30जिस नाम की कीमत बहुत थी नज़रों में,
दिल पर उसे लिख...जिस नाम की कीमत बहुत थी नज़रों में,<br />दिल पर उसे लिख कर के मिटाया क्यों था ! <br /><br />बहुत सुन्दर गज़ल ..दिल के भावों को बहुत खूबी से शब्द दिए हैं ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-23994625351221819742010-11-11T22:54:37.025+05:302010-11-11T22:54:37.025+05:30अरे अरे अरे....ये क्या लिख दिया ? और बायीं द वे ये...अरे अरे अरे....ये क्या लिख दिया ? और बायीं द वे ये कब लिखी गयी ? क्या कॉलेज टाइम में ? वाह क्या रोमांटिक ...क्या शिकायतों की पोटली खोली आज..पहली बार पढ़ा आपकी कलम का ये कलाम.<br /><br />सुंदर बहुत सुंदर लगी आपकी ये रचना.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-39038612810048112892010-11-11T20:34:05.300+05:302010-11-11T20:34:05.300+05:30हमसे तो वफ़ा की बहुत तकरीरें कीं,
जो खुद नहीं सीखे ...हमसे तो वफ़ा की बहुत तकरीरें कीं,<br />जो खुद नहीं सीखे वो सिखाया क्यों था !<br /><br />तुम थे ही नहीं प्यार के काबिल फिर भी,<br />हर रस्म को इस दिल ने निभाया क्यों था !<br />इन पँक्तिओं पर एक शेर कहूँगी----<br />उसने निभाई ना वफा गर इश्क मे तो क्या हुया<br />उससे जफा मै भी करूँ मेरी वफा फिर क्या हुयी<br />बहुत अच्छी लगी आपकी रचना। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-88355609350348987722010-11-11T18:09:28.407+05:302010-11-11T18:09:28.407+05:30बहुत सुन्दर!बहुत सुन्दर!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-9457962985584052742010-11-11T17:59:20.315+05:302010-11-11T17:59:20.315+05:30जो खुद नहीं सीखे वो सिखाया क्यों था
बुझने के लिए द...जो खुद नहीं सीखे वो सिखाया क्यों था<br />बुझने के लिए दीप जलाया क्यों था <br /><br />तुम थे ही नहीं प्यार के काबिल फिर भी,<br />हर रस्म को इस दिल ने निभाया क्यों था !<br /><br />बहुत बहुत बधाई साधना जी..........www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-8001274425365410732010-11-11T17:43:56.715+05:302010-11-11T17:43:56.715+05:30लाजवाब रचना …………भावों को सम्पूर्णता प्रदान की है।लाजवाब रचना …………भावों को सम्पूर्णता प्रदान की है।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-60509768860448931592010-11-11T14:12:41.075+05:302010-11-11T14:12:41.075+05:30रहने को ठिकाने थे बहुत मेरे लिये,
आँखों में बसा कर...रहने को ठिकाने थे बहुत मेरे लिये,<br />आँखों में बसा कर के गिराया क्यों था !<br /><br />ओहो..क्या बात है...<br /><br />जिस नाम की कीमत बहुत थी नज़रों में,<br />दिल पर उसे लिख कर के मिटाया क्यों था !<br /><br />आज तो अंदाज़-ए-बयाँ कुछ और ही है..एकदम अलग रंग में है..यह रचना.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-70050220060351839532010-11-11T08:25:56.331+05:302010-11-11T08:25:56.331+05:30बड़ी कसक भरी है हर क्यों में ....व्यथित ह्रदय की व...बड़ी कसक भरी है हर क्यों में ....व्यथित ह्रदय की वेदना को बहुत सजीवता से प्रस्तुत किया आपने !!रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.com