Thursday, February 18, 2010

“चना न चब्बूँ क्या ? ” ( बाल कथा ) - 4

एक थी नन्हीं सी चिड़िया | उसे कहीं से एक चना मिल गया | चना चोंच में दबा कर वह एक खूँटे पर बैठ गयी | खूँटा बीच से फटा था | उसकी चोंच से छूट कर चना उसमें गिर गया | चिड़िया की चोंच थी छोटी सी | वह चना नहीं निकाल पाई | तब उसने खूँटे से कहा,
“ खूँट खूँट मेरा चना दे दे | चना न चब्बूँ क्या ? ”
खूँट बोला,” मैं तो ज़मीन में गढ़ा हुआ हूँ ! मैं क्या कर सकता हूँ ! “
तुरंत चिड़िया जा पहुँची एक बढ़ई के पास गयी और उससे बोली ,
“ बढ़ई बढ़ई खूँट उखाड़, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? ”
बढ़ई ने कहा, “ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया राजा के पास पहुँची और बोली,
“ राजा राजा बढ़ई को डाँट, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या |”
राजा ने भी उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और कहा,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | ”
अब चिड़िया रानी के पास जा पहुँची और बोली ,
“ रानी रानी राजा रूठ, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ?“
उस समय रानी अपनी सुन्दर सुन्दर साड़ियाँ सम्हाल रही थी ! बोली,
“ मैं क्यों राजा से रूठूँ | चल भाग यहाँ से | मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया मदद के लिए जा पहुँची एक चूहे के पास और उससे बोली,
“ चूहा चूहा कपड़े काट, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
चूहे ने भी उसे भगा दिया,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
अब चिड़िया गयी बिल्ली के पास और बोली,
“ बिल्ली बिल्ली चूहा मार, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
बिल्ली भी बोली,
“ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चड़िया अब कुत्ते के पास पहुँची और उससे विनती की,
“ कुत्ते कुत्ते बिल्ली मार, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
कुत्ते ने भी चिड़िया को भगा दिया,
” चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
भूखी चिड़िया मदद के लिए अब कोने में खड़े एक डंडे के पास जा पहुँची और उससे बोली,
“ डंडे डंडे कुत्ता मार, कुता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाए नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या ? “
डंडे ने भी कहा,
“ चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चिड़िया अब मदद के लिए चूल्हे की आग के पास जा पहुँची और उससे बोली,
“ आग आग डंडा जला, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
आग ने भी चिड़िया को भगा दिया और बोली,
“ मैं क्यों डंडा जलाऊँ ! चल हट ! मेरे पास टाइम नहीं है |”
अब चिड़िया जा पहुँची पानी के पास और उससे बोली,
“ पानी पानी आग बुझा, आग डंडा जलाए नईं, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
पानी ने भी मना कर दिया,
“ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है | “
चिड़िया हर तरफ से इनकार सुन दुखी हो गयी थी | तभी वहाँ आया एक हाथी | चिड़िया खुश हो गयी ! सोचा यह तो मेरी मदद ज़रूर करेगा | हाथी से बोली,
“ हाथी हाथी पानी पी, पानी आग बुझाए नईं, आग डंडा जलाए नईं, डंडा कुत्ता मारे नईं, कुत्ता बिल्ली काटे नईं, बिल्ली चूहा खाये नईं, चूहा कपड़े काटे नईं, रानी राजा रूठे नईं, राज बढ़ई को डाँटे नईं, बढ़ई खूँट उखाड़े नईं, खूँट चना दे नईं, चना न चब्बूँ क्या? “
पर हाथी भी बोला, “ चल भाग यहाँ से ! मेरे पास टाइम नहीं है !
अब चिड़िया निराश होकर रोने लगी | सोचने लगी जब इतने बड़े हाथी ने मेरी मदद नहीं की तो अब कौन मेरा चना निकलवायेगा | उसके रोने की आवाज़ सुन कर एक चींटी वहाँ आयी | उसने चिड़िया से पूछा,
“ तुम क्यों रो रही हो ?”
चिड़िया ने सारी बात चींटी को बताई !
चींटी बोली,
“ अच्छा तो ये बात है ! मैं अभी जाकर हाथी की सूँड में घुस कर उसकी अक्ल ठीक करती हूँ !”
और चींटी हाथी की सूँड में घुस कर उसे ज़ोर ज़ोर से काटने लगी ! हाथी घबरा कर बोला,
“ अरे अरे तुम मुझे क्यों काट रही हो ? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है ? “
चींटी ने कहा, ” तुमने चिड़िया की मदद क्यों नहीं की ? वह बेचारी कितनी भूखी है ! “
हाथी बोला ,” बस इतनी सी बात ! मैं अभी जाकर सारा पानी पी लेता हूँ !”
यह सुन कर पानी बोला, “ नहीं नहीं मैं अभी आग बुझाता हूँ ! “
आग बोली, “ मैं अभी डंडा जलाती हूँ ! “
डंडा बोला, “ मैं अभी कुत्ते को मारता हूँ ! “
कुत्ता बोला, “ मैं अभी बिल्ली को काटता हूँ ! “
बिल्ली बोली, “ मैं अभी चूहे को खाती हूँ ! “
चूहा बोला, “ मैं अभी रानी के कपड़े काटता हूँ ! “
रानी बोली, “ मैं अभी राजा से रूठती हूँ !”
राजा बोला, “ मैं अभी बढ़ई को डाँटता हूँ !”
बढ़ई बोला, “ नहीं नहीं राजाजी ! मैं अभी खूँटा उखाड़ कर चना निकाल देता हूँ ! ”
बढ़ई ने खूँटा उखाड़ कर जैसे ही उसे उलटा किया चना लुढ़क कर बाहर आ गया ! बढ़ई ने खूँटे को दोबारा ज़मीन में पहले की तरह ही गाढ़ दिया ! चिड़िया ने खुश होकर सबको धन्यवाद दिया और अपना चना चोंच में दबा कर फुर्र से उड़ कर अपने घोंसले में चली गयी !
सब्र और मेहनत से मुश्किल काम भी आसान हो जाते हैं !


साधना वैद

11 comments:

  1. ये क्या किया साधना जी,
    आज तो आप मुझे मेरे बचपन मे मेरी दादीजी के पास ले गई....आपका बहुत बहुत आभार!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

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  2. "बहुत ही सुन्दर और मज़ेदार कहानी..."
    प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

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  3. बचपन की यादें ताजा करने और विस्तारपूर्वक कथा लिखने के लिए आभार.

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  4. are waah..........bachpan ke aangan me bitha diya aapne.......ek aur kahani....

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  5. आपने आज मुझे फिर से मेरी अम्मा के पास पहुचा
    दिया |
    सरल शब्दों में बहुत मनभावन , बच्चों को प्यारी
    लगने वाली कहानी |
    आशा

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  6. खूबसूरत अंदाज में बेहतरीन रचना.

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  8. आदरणीय दीदी ,
    सादर वंदे|
    आप kee kahaaniyaa mere kaarya me bada sahyog de rahi hai .khaskar aj jo kahanilikhi hai vah bhukhe kaa bhojan hai .mujhe is kahani me chuhe ke aage kaa kram yaad nahi aa rahaa thaa aur maa to ab thi nahi jo unase jaakar pooch leti aapki kahaani padkar mujhe aisa laga mano maa ne meri prarthna sun li aur aapko sanket de diya. sach me bahut bahut aabhaar .
    mere paas lagbhag 50 kahaaniyaa jo maa ne bachpan me sunaai thee athvaa maine padhi thi mai likh chuki hoo aur thode samay bad bachcho ke liy pustak roop me saamne le aaugee
    sadaa aapke sahyog aur aashirvad ki prateekshaa me
    beena

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  9. very very thanks for this story

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