Thursday, October 10, 2019

क्योंकि यह प्यार है





















क्यों वक्त के साथ
ख्वाहिशों की कभी
उम्र नहीं बढती !
क्यों आँखों के सपने
बार-बार टूट कर भी
फिर से जी उठते हैं !
क्यों उम्मीदें हमेशा
नाकाम होने के बाद भी
जवान बनी रहती हैं !
क्यों प्यार का सरोवर
ज़माने का भीषण ताप
सहने के बाद भी
कभी नहीं सूखता !
क्यों नैनों में बसा इंतज़ार
जब तक अपने प्रियतम को
सामने ना देख ले कभी
खत्म ही नहीं होता !
हज़ार अजनबी आहटों में से
कान कैसे बिना देखे ही
उस चिर प्रतीक्षित आहट को
पहचान लेते हैं जिसे सुन
शिराओं में रक्त की गति
अनायास ही तीव्र हो जाती है !
क्यों गुज़रे पलों के
फूलों से नाज़ुक एहसास
किसी भी हाल में
कभी मुरझाते नहीं !
क्यों भावनाएं हमेशा
बूढ़े होते जिस्म में भी
एक षोडशी की तरह
अल्हड़ और मासूम
ही बनी रहती हैं !
क्यों मन को महकाने वाली
मदमस्त मोहक खुशबू
सालों के इतने लंबे
अंतराल के बाद भी
कभी मंद नहीं पड़ती !
क्यों प्यार के भीगे जज़्बात  
बेरुखी और अवमानना की
आँच सहने के बाद भी
कभी शुष्क नहीं होते ! 
क्यों बढ़ती उम्र की झुर्रियाँ
मन की कोमल भावनाओं के
चहरों पर दिखाई नहीं देतीं !
क्यों वक्त का खुरदुरापन
हृदय की दीवारों पर अपने
निशाँ नहीं छोड़ पाता !
क्यों अंतर में प्रदीप्त
प्यार की प्रखर लौ
किसी आँधी किसी
तूफ़ान के आगे
कभी बुझती नहीं !
क्यों दिल हज़ारों सदमे
झेलने के बाद भी   
हताश हुए बिना
ताउम्र यूँ ही बेसबब 
धड़कता रहता है !
क्योंकि यह प्यार है
और प्यार का कभी
दमन नहीं होता !  



साधना वैद  

19 comments:

  1. सुरक्षित प्रस्तुति
    सादर नमन

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! आभार आपका !

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  2. प्यार की उम्र इसी से लगा लो कि
    पहली थपकी मिली तो रोये
    वो थपकी चली गयी तो रोये
    हम भी चले गए तो भी कुछ लोग रोये।
    बेहद उम्दा प्रस्तुति।

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है 👉 ख़ुदा से आगे 

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    1. ह्रदय से धन्यवाद रोहितास जी ! आभार आपका !

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  3. सहृदय धन्यवाद ज्योति जी
    क्यों भावनाएं हमेशा
    बूढ़े होते जिस्म में भी
    एक षोडशी की तरह
    अल्हड़ और मासूम
    ही बनी रहती हैं

    क्योकि ये प्यार हैं ,बहुत ही सुंदर सृजन दी ,सादर नमन

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    1. ह्रदय से बहुत बहुत आभार कामिनी जी ! तहे दिल से शुक्रिया आपका !

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  4. आपका ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  5. वाह! बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद नीतीश जी ! आभार आपका !

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  6. सुंदर प्रस्तुति

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  7. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १४ अक्टूबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  8. सुन्दर रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !

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  9. प्यार का कभी दमन नहीं होता - इस एक पंक्ति में ही रचना का सार छुपा है साधना दीदी। बहुत सुंदर रचना।

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  10. शानदार अभिव्यक्ति |

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    1. हार्दिक धन्यवाद जी ! आभार आपका !

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  11. बूढ़े होते जिस्म में भी
    एक षोडशी की तरह
    अल्हड़ और मासूम
    ही बनी रहती हैं

    ...बहुत ही सुंदर सृजन
    शब्दों की मुस्कराहट पर आपका स्वागत है

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