Thursday, October 31, 2019

ऐसी ही होती है माँ




दिख जाती है मुझे स्वप्न में

आँचल से दुलराती माँ !

कभी गरजती, कभी बरजती

आँखों से धमकाती माँ !

कान पकड़ती, चपत लगाती

जाने क्यों तड़पाती माँ !

फिर मनचाही चीज़ दिला कर

घंटों हमें मनाती माँ !

सारे दिन चौके में खटती

चूल्हे को सुलगाती माँ ! 

अपने हाथों थाल सजा कर

खाना हमें खिलाती माँ !

रूठी बिटिया को खुश करने

मुँह में कौर खिलाती माँ !

माथे पर पट्टी रख-रख कर

ज्वर को दूर भगाती माँ !

नींद ना टूटे, कहीं हमारी

आँखों से बतियाती माँ !

राई नोन से नज़र उतारे

सीने से लिपटाती माँ !

बिन बोले जो बूझे सब कुछ

चहरे को पढ़ जाती माँ !

रंगबिरंगी चूनर रँग कर

हाथों में लहराती माँ !

रात-रात भर जाग-जाग कर

गोटे फूल लगाती माँ !

मंदिर में भगवन् के आगे

सबकी खैर मनाती माँ !

चौबारे में दीपक रख कर

सारे शगुन मनाती माँ !

बच्चों की सारी पीड़ा को

हँस-हँस कर पी जाती माँ !

छोटी सी भी चोट लगे तो

हाथों से सहलाती माँ !

बच्चे की हर उपलब्धि पर

फूली नहीं समाती माँ !

दुनिया भर में जश्न मनाती

इठलाती फिरती है माँ !

                     हर पल आँखों में बसती है                        

सपनों में आती है माँ !

मेरी हर पीड़ा को हर कर

मुझे हँसा जाती है माँ !

छूकर अपने कोमल कर से

मुझे रुला जाती है माँ !

ऐसी ही होती है शायद

जग में हर बच्चे की माँ !

जीवन के तपते मरुथल में

बादल बन छाती है माँ !

जीवन पथ के शूल बीन कर

फूल बिछा जाती है माँ !

बच्चा चाहे जैसा भी हो

माँ तो बस होती है ‘माँ’ !  

हो कोई भी देश विश्व में

ऐसी ही होती है माँ ! 



साधना वैद

15 comments:

  1. हर मां का अपने बच्चों से प्यार एक जैसा ही होता है।
    बहुत ही सुंदर रचना।
    आपका नई रचना पर स्वागत है 👉👉 कविता 

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  2. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका रोहिताश जी !

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  3. माँ से महान कोई हो ही नहीं सकता।काश! माँ की ममता और महिमा को सभी लोग समझ पाते।माँ के हर रूपों को वर्णित करती बहुत ही प्यारी और उत्तम रचना ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! आभार आपका !

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 01 नवम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. जी ! दिल से आभार आपका यशोदा जी ! आती हूँ शाम को 'मुखरित मौन' पर !

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०२ -११ -२०१९ ) को "सोच ज़माने की "(चर्चा अंक -३५०७) पर भी होगी।
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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    1. हमें उत्सुकता से प्रतीक्षा रहेगी ! ह्रदय से आभार आपका अनीता जी ! दिल से धन्यवाद आपका !

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  6. बहुत ही संजीदा लेखन

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    1. हार्दिक धन्यवाद संजय जी !

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  7. माँ जिसकी ममता को शब्दों में समेटा ही नहीं जा सकता

    माँ जिसका बखान उसके प्यार जितना ही अनन्त है

    आपने बखूबी दिखाया है 👌

    मेरी रचना मशीन ने लिखा  पर स्वागत है आपका

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    1. हार्दिक धन्यवाद अश्विनी जी ! स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर !

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  8. .. मां के लिए जितनी भी पंक्तियां आप लिखती जाएं कम ही पड़ते हैं... उनके प्यार का अनंत सागर बहुत गहरा है, वह कभी भी हमारे शब्दों से भर नहीं सकता.. सारी पंक्तियां मां की याद दिला गई बहुत ही अच्छी रचना लिखी आपने...
    मेरी हर पीड़ा को हर कर
    मुझे हंसा जाती मां...👌🙏

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आभार आपका !

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  9. बहुत सुन्दर भाव |

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