Sunday, March 14, 2021

कैसे इनके जाल से बच पायेगा देश

 



चलो आज परिचय करें, करें ज़रा कुछ गौर

कर्णधार कैसे मिले, जनता के सिरमौर !


कितना ये सच बोलते, कितनी करते फ़िक्र

कितना इनकी बात में, देश काल का ज़िक्र !


कथनी करनी में बड़ा, अंतर है श्रीमान

जिह्वा पर भगवान हैं, अंतर में शैतान !


मिलते रंगे सियार हैं, धर साधू का वेश

कैसे इनके जाल से, बच पायेगा देश !


बच के रहना भाइयों, शातिर को पहचान

इनके फेंके जाल में, फँसना है आसान !


झूठे वादों का बहुत, इनको है अभ्यास

इनकी बातों पर कभी, मत करना विश्वास !


लुटा रहे हैं गड्डियाँ, जी भर कर उपहार

मिल जाए सत्ता इन्हें, किसी तरह इस बार !


है चुनाव के वास्ते, इनका यह अवतार

फिर तुम इनको ढूँढना, गली-गली हर द्वार !


थोड़ी सी खुशियाँ अभी, फिर भारी नुक्सान

खुद ही करना सीख लो, दुश्मन की पहचान !


झूठे हैं नेता सभी, उथली इनकी सोच

लोकतंत्र के पैर में, इसीलिये है मोच !


जैसे उगते सूर्य का, होता है अवसान

नेता जी के तेज का, अंत निकट लो जान !


साधना वैद  

11 comments:

  1. झूठे हैं नेता सभी, उथली इनकी सोच

    लोकतंत्र के पैर में, इसीलिये है मोच !


    सभी दोहे एक से बढ़ कर एक

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  2. बहुत सुन्दर

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    1. बहुत बहुत आभार आपका केडिया जी ! हृदय से धन्यवाद !

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 15 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रिय यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

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  4. बहुत सुन्दर सार्थक दोहे दीदी . अक्षरश: सत्य

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    1. हार्दिक धन्यवाद गिरिजा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  5. सभी दोहे बहुत सुन्दर

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    1. हार्दिक धन्यवाद संजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. वाह , तीखी बात !

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    1. आज आपको अपने ब्लॉग पर देख कर बहुत उल्लसित हूँ सतीश जी ! स्वागत है आपका ! ह्रदय से धन्यवाद एवं आभार आपका !

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