tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post4135189890466877061..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: गुरु - गुरुदेव - गुरुघंटाल Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-68011376169140662922019-04-15T23:51:26.298+05:302019-04-15T23:51:26.298+05:30बहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक आलेख...बहुत ही सुन्दर चिन्तनपरक आलेख...Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-56299938965510552272019-04-15T15:18:30.479+05:302019-04-15T15:18:30.479+05:30आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! इस ग़लत औ...आपका हार्दिक धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! इस ग़लत और दोषपूर्ण परम्परा को समाप्त करना चाहती हूँ ! उसके लिए स्वयं के अन्दर झाँँकना भी अत्यंत आवश्यक है ! आभार आपका ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-51211725082062262362019-04-15T15:16:02.354+05:302019-04-15T15:16:02.354+05:30जी मीना जी ! गूगल + के बंद हो जाने के कारण सारी प्...जी मीना जी ! गूगल + के बंद हो जाने के कारण सारी प्रतिक्रियाएं गायब हो गयीं ! धर्म के नाम पर क्या क्या अधर्म लोग कर रहे हैं यही इस आलेख के माध्यम से कहना चाहती हूँ ! हम कैसे इसे रोक सकते हैं और कैसे इससे अपना बचाव कर सकते हैं यह बताने की चेष्टा की है ! आपको आलेख अच्छा लगा आपका हृदय से धन्यवाद ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-49377306208290532832019-04-15T15:10:45.285+05:302019-04-15T15:10:45.285+05:30आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी !...आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! इस लेख पर पहले कई प्रतिक्रियाएं आईं थीं लेकिन गूगल + के समाप्त होते ही समूचा ब्लॉग खाली हो गया टिप्पणियों से ! आपके माध्यम से पाठक पुन: इस आलेख को पढ़ पा रहे हैं हृदय से आपकी आभारी हूँ ! सादर वन्दे ! Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-81989361968652247932019-04-15T13:48:53.029+05:302019-04-15T13:48:53.029+05:30अपने अन्दर झाँक कर यदि हम देखें तो इस दूषित वातावर...अपने अन्दर झाँक कर यदि हम देखें तो इस दूषित वातावरण को बनाने के लिए क्या हम खुद ही ज़िम्मेदार नहीं हैं ? हम खुद ही इन गुरु घंटालों को निर्मित करते हैं, उन्हें पालते पोसते हैं, उनकी पूजा कर उन्हें ‘भगवान्’ का दर्ज़ा देते हैं,<br /> सही कहा आपने गलती हमारी ही हैं ,सादर नमस्कार Kamini Sinhahttps://www.blogger.com/profile/01701415787731414204noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-78922611776313367762019-04-15T11:05:40.062+05:302019-04-15T11:05:40.062+05:30आपका यह लेख पहले भी पढ़ा था। आज भी स्मृति में है।
...आपका यह लेख पहले भी पढ़ा था। आज भी स्मृति में है। <br />विवेक से काम लेना चाहिए तभी गुरुघंटालों के शिकंजे से बच सकते हैं। इस संदर्भ में हरिशंकर परसाईं जी का व्यंग्य 'टार्च बेचनेवाले' भी उल्लेखनीय है। Meena sharmahttps://www.blogger.com/profile/17396639959790801461noreply@blogger.com