tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post4595387027048844325..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: कुछ तो करना होगा Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-8695260026624018772013-01-11T22:29:12.990+05:302013-01-11T22:29:12.990+05:30सटीक सधे विचार ....पूर्ण सहमति है आपसे सटीक सधे विचार ....पूर्ण सहमति है आपसे डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-41951597436710095862013-01-02T10:02:17.487+05:302013-01-02T10:02:17.487+05:30क्या हो गया उसे बार बार न दोहराकर ...क्या होना चाह...क्या हो गया उसे बार बार न दोहराकर ...क्या होना चाहिए इसपर प्रकाश डालती एक सकारात्मक सोच ....Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-84751295293458715252013-01-01T17:08:49.210+05:302013-01-01T17:08:49.210+05:30ऐसी धारणा बन गई है एक सफल बलात्कार और सामूहिक नरसं...ऐसी धारणा बन गई है एक सफल बलात्कार और सामूहिक नरसंहार करने के बाद भी सज़ा से बचा जा सकता है अगर यह काम योजनाबद्ध ढंग से किया गया हो। किसी विशेष समुदाय के खि़लाफ़ पहले नफ़रत फैलाई गई हो और फिर ज़ुल्म किया गया हो। इसके बाद वे अपने वर्ग के हीरो बन जाते हैं और सरकारें बनाते हैं। देश के बहुत से दंगों के मुल्ज़िम इस बात का सुबूत हैं। वर्ना एक लड़की से रेप के बाद भी मुजरिम जेल पहुंच जाते हैं अगर उन्होंने अपराध स्वतः स्फूर्त ढंग से किया हो और उन्हें कोई राजनैतिक शरण न मिले जैसा कि दामिनी के केस में देखा जा रहा है। <br />दामिनी पर ज़ुल्म करने वालों के खि़लाफ़ देश और दिल्ली के लोग एकजुट हो गए जबकि सन 1984 के दंगों में ज़िंदा जला दिए गए सिखों के लिए यही लोग कभी एकजुट न हुए। इसी तरह दूसरी और भी बहुत सी घटनाएं हैं। यह इस समाज का दोग़लापन है। इसी वजह से इसका कभी भला नहीं हो सकता। DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-7577635098883590872012-12-31T17:14:26.589+05:302012-12-31T17:14:26.589+05:30समाज का चलन उल्टा है
सच से इसे बैर है।
आप सच कहेंग...समाज का चलन उल्टा है<br />सच से इसे बैर है।<br />आप सच कहेंगे तो ज़माना आपका दुश्मन हो जाएगा<br />जड़ों को पानी देकर यह शाख़ें कतरता है<br />http://mushayera.blogspot.in/2012/12/modern-girl.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-90995825750750303492012-12-31T16:09:48.444+05:302012-12-31T16:09:48.444+05:30सहमत हूँ आपकी बात से ... बिल्कुल सही कहा आपने ......सहमत हूँ आपकी बात से ... बिल्कुल सही कहा आपने ... <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-13188156039762160662012-12-31T10:19:16.062+05:302012-12-31T10:19:16.062+05:30सहमत !सहमत !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-71677736205162413772012-12-30T21:41:47.676+05:302012-12-30T21:41:47.676+05:30बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,
चिरनिद्रा में सोकर खु...बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,<br /><br />चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,<br />जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,<br /><br />recent post <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/12/blog-post_6581.html#links" rel="nofollow">: नववर्ष की बधाई</a><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-426967572889416122012-12-30T21:32:04.786+05:302012-12-30T21:32:04.786+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (31-112-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच-1110 (साल की अन्तिम चर्चा)</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ!<br />--<br />कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-9509832272842300022012-12-30T19:44:04.121+05:302012-12-30T19:44:04.121+05:30सार्थक और सटीक प्रस्तुति |
आशा सार्थक और सटीक प्रस्तुति |<br />आशा Asha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-34764847426270379192012-12-30T17:10:06.851+05:302012-12-30T17:10:06.851+05:30बहुत सही कहा है आपने --दामिनी का बलिदान व्यर्थ नही...बहुत सही कहा है आपने --दामिनी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए <br />Aditi Poonamhttps://www.blogger.com/profile/07454848082907747001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-12417470584653415342012-12-30T15:28:32.246+05:302012-12-30T15:28:32.246+05:30बिलकुल सही कहा है आपने !!बिलकुल सही कहा है आपने !!विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-37577381834071455472012-12-30T15:14:11.366+05:302012-12-30T15:14:11.366+05:30जब देश के चुने हुए नेता और बिना चुने जबरन सर्वोच्च...जब देश के चुने हुए नेता और बिना चुने जबरन सर्वोच्च पदों पर बैठे बड़े नेताओं को ही नहीं मालुम 'क्या कुछ शीघ्र किया जा सकता है'<br /><br />जब देश के जाने-माने हुए बुद्धिजीवियों में एक अपराध के लिए दंड निर्धारित करने को लेकर मत-वैभिन्य है,<br /><br />जब गुरुजनों, वरिष्ठ साथियों और चिंतकों के सामने 'कुछ तो करना होगा' जैसा असमंजस अभी तक बरकरार है।<br /><br />.......... तब तक सामान्य सोच वाले कभी इस पाले तो कभी उस पाले भीड़ लगाते ही मिलेंगे। <br /><br /><br />दुःख सदमे के स्तर तक जा पहुँचा है .... इस कारण ही यह स्थिति बनी है ... इसलिए इस घटना के बाद हर उस बात पर ध्यान देना होगा जो ऎसी बातों की भूमि तैयार करते हैं।<br /><br />- मीडिया द्वारा दिखाए जाने वाले ऐसे विज्ञापन जिसमें 'स्त्री' को उपभोग की वस्तु बनाकर प्रस्तुत किया जाता है।<br /><br />- फूहड़ और द्वीअर्थी भाषा वाले संवाद .. कोमेडी के नाम पर परोसी जाने वाली गंदगी, फिल्म स्टारों के बीप वाले घटिया लाइव शो में यह सब भरपूर मात्रा में होता है।<br /><br />- ऎसी फिल्म्स पर सेंसर बोर्ड रोकथाम लगाए जो यौन हिंसा पर बनी होती हैं।<br /><br /><br />साधना जी, ऐसे विषयों पर मन इतना अधिक घिना गया है कि मैं न चर्चा कर पाता हूँ और न ही ठीक ढंग से अपनी बात कह पाता हूँ, फिर भी कुछ दिनों से कोशिश कर रहा हूँ।<br /><br />जहाँ भी बात छोटी करना चाहता हूँ बड़ी हो जाती है।प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-87022948876950343392012-12-30T14:55:06.312+05:302012-12-30T14:55:06.312+05:30बिलकुल सही कहा है आपने . सार्थक प्रस्तुति . हार्दि...बिलकुल सही कहा है आपने . सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार <a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE" rel="nofollow">हम हिंदी चिट्ठाकार हैं </a>Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-73162928814060208012012-12-30T14:12:24.574+05:302012-12-30T14:12:24.574+05:30हमारे चाहने से ही अब सब हो,ऐसा प्रण लेना है
.... ...हमारे चाहने से ही अब सब हो,ऐसा प्रण लेना है <br />.... <br />देश हमारा,संविधान हमारा <br />हम क्यूँ हुए शिक्षित ?<br />अशिक्षितों की तरह मर जाने के लिए <br />घुट घुट केर आंसू बहाने के लिए <br />.......<br />लानत है उस माँ पर जिसने ऐसे बेटे को खुद सज़ा नहीं दी <br />लानत है उस बहन पर - जो इए कुकर्मी भाई के हाथ में राखी बांधेगी <br />लानत है उन स्त्रियों पर - जो कापुरुषों के लिए मांग भरती हैं <br />और फ़ालतू के व्रत त्यौहार करने का ढोंग रचाती हैं !<br />............<br />रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com