tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post5114807759126171736..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: आत्म साक्षात्कारSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-24138928633650700752011-04-22T23:50:32.209+05:302011-04-22T23:50:32.209+05:30aadardiya sadhnaaved ji namashkaar
अब खुले वातायन...aadardiya sadhnaaved ji namashkaar<br />अब खुले वातायनो से सुखद, मन्द, सुरभित पवन के<br />मादक झोंके नहीं आते,<br />अंतर्मन की कालिमा उसमें मिल<br />उसे प्रदूषित कर जाती है।<br />अब नयनों से विशुद्ध करुणा जनित<br />पवित्र जल की निर्मल धारा नहीं बहती,<br />पुण्य सलिला गंगा की तरह<br />उसमें भी घृणा के विष की पंकिल धारा<br />साथ-साथ बहने लगी है।bahut sunder dil ko choo lenawali rachanaa ke liya bahut-bahut badhai.prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-50969115372978376342011-04-20T15:08:03.501+05:302011-04-20T15:08:03.501+05:30कितना कठोर अनुभव है अपनी स्वयं को इस तरह देखना ......कितना कठोर अनुभव है अपनी स्वयं को इस तरह देखना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-26926029305996599142011-04-19T07:12:16.870+05:302011-04-19T07:12:16.870+05:30आदरणीया साधना जी बहुत ही सुंदर कविता बधाई और शुभका...आदरणीया साधना जी बहुत ही सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-90089898422864039732011-04-18T21:13:51.969+05:302011-04-18T21:13:51.969+05:30ati sunderati sunderदिलबागसिंह विर्कhttps://www.blogger.com/profile/11756513024249884803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-61085112244264790372011-04-18T17:03:51.273+05:302011-04-18T17:03:51.273+05:30बहुत ही गहरे भावों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।बहुत ही गहरे भावों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-51670563516419521742011-04-18T16:01:45.468+05:302011-04-18T16:01:45.468+05:30अब नयनों से विशुद्ध करुणा जनित
पवित्र जल की निर्मल...अब नयनों से विशुद्ध करुणा जनित<br />पवित्र जल की निर्मल धारा नहीं बहती,<br />पुण्य सलिला गंगा की तरह<br />उसमें भी घृणा के विष की पंकिल धारा<br />साथ-साथ बहने लगी है।....<br /><br />बहुत भावपूर्ण रचना...अंतस को गहराई तक छू जाती है..बहुत सुन्दर..आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-42437618015688741422011-04-18T05:33:41.974+05:302011-04-18T05:33:41.974+05:30अवसाद धीरे धीरे इसी तरह धूं -धूं जलाता है हर संवेद...अवसाद धीरे धीरे इसी तरह धूं -धूं जलाता है हर संवेदना को ...<br />मानसिक पीड़ा की अद्वितीय भावाभिव्यक्ति !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-41882298655357792382011-04-17T00:17:41.755+05:302011-04-17T00:17:41.755+05:30पुण्य सलिला गंगा की तरह
उसमें भी घृणा के विष की पं...पुण्य सलिला गंगा की तरह<br />उसमें भी घृणा के विष की पंकिल धारा<br />साथ-साथ बहने लगी है।<br /><br /><br />भावुक...सुन्दर...मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-32813098257172523742011-04-16T23:51:29.859+05:302011-04-16T23:51:29.859+05:30बहुत सुंदर अभिव्यक्तिबहुत सुंदर अभिव्यक्तिराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-23410115840978459782011-04-16T23:09:19.964+05:302011-04-16T23:09:19.964+05:30बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .....बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति .....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-6593464915246066242011-04-16T23:04:49.166+05:302011-04-16T23:04:49.166+05:30अपने भावों को बेहतरीन शब्द दिए हैं आपने.. उम्दा रच...अपने भावों को बेहतरीन शब्द दिए हैं आपने.. उम्दा रचना और आज कि दुनिया में हर जगह मिलावट के होने का भी खूबसूरत विवरण..<br /><br /><a href="http://bitspratik.blogspot.com/2011/04/blog-post_16.html" rel="nofollow">तीन साल ब्लॉगिंग के</a> पर आपके विचार का इंतज़ार है..<br />आभारPratik Maheshwarihttps://www.blogger.com/profile/04115463364309124608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-73062524842781422032011-04-16T21:58:17.709+05:302011-04-16T21:58:17.709+05:30केवल ममता भरे आशीर्वचन और प्रार्थना
के स्वर ही उच्...केवल ममता भरे आशीर्वचन और प्रार्थना<br />के स्वर ही उच्छवसित नहीं होते,<br />कम्पित अधरों से उलाहनों, आरोपों, प्रत्यारोपों की<br />प्रतिध्वनि भी झंकृत होने लगी है।<br />............................<br />बिलकुल सत्य विवेचन है साधना जी..<br />बहुत सार्थक कविता..<br />आभारआशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-67290492661653138332011-04-16T21:00:16.352+05:302011-04-16T21:00:16.352+05:30बहुत गहन भावमय पोस्ट बधाई
आशाबहुत गहन भावमय पोस्ट बधाई <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-42591532706616175692011-04-16T19:10:06.626+05:302011-04-16T19:10:06.626+05:30जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ
अ...जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ<br />अपनी समस्त कोमलता, अपनी मानवता,<br />अपनी चेतना, अपनी आत्मा, अपना अंत:करण<br />और अपने सर्वांग को धू-धू कर जलता देख रही हूँ<br />नि:शब्द, अवाक, चुपचाप !<br /><br />शायद...<br />यही उचित है..!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-66506529541046823302011-04-16T19:10:05.577+05:302011-04-16T19:10:05.577+05:30जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ
अ...जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ<br />अपनी समस्त कोमलता, अपनी मानवता,<br />अपनी चेतना, अपनी आत्मा, अपना अंत:करण<br />और अपने सर्वांग को धू-धू कर जलता देख रही हूँ<br />नि:शब्द, अवाक, चुपचाप !<br /><br />शायद...<br />यही उचित है..!!***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-79789027061734110302011-04-16T16:38:27.137+05:302011-04-16T16:38:27.137+05:30बहुत ही गहरी वेदना छलक रही है,इन पंक्तियों से...मन...बहुत ही गहरी वेदना छलक रही है,इन पंक्तियों से...मन का गहन नैराश्य उजागर हो रहा है.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-39489453857108645782011-04-16T15:53:44.749+05:302011-04-16T15:53:44.749+05:30जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ
अ...जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ<br />अपनी समस्त कोमलता, अपनी मानवता,<br />अपनी चेतना, अपनी आत्मा, अपना अंत:करण<br />और अपने सर्वांग को धू-धू कर जलता देख रही हूँ<br />नि:शब्द, अवाक, चुपचाप !<br /><br />वेदना से परिपूर्ण अभिव्यक्ति ...व्यथित मन की वेदना को शब्दों में समेट लिया है ..अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-24363128332115842272011-04-16T12:37:07.286+05:302011-04-16T12:37:07.286+05:30मानस को छू गयी !आभार ....मानस को छू गयी !आभार ....निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-15237971888225164002011-04-16T12:35:59.898+05:302011-04-16T12:35:59.898+05:30अवसाद का अंधकार मन में समा कर
उसे शिथिल, बोझिल, नि...अवसाद का अंधकार मन में समा कर<br />उसे शिथिल, बोझिल, निर्जीव सा ही नहीं कर जाता,<br />उसमें अब आक्रोश की आँच भी नज़र आने लगी है<br />जो उसे धीमे-धीमे सुलगा कर प्रज्वलित कर जाती है।<br />gahan prastutiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-57393574414346199572011-04-16T11:48:37.127+05:302011-04-16T11:48:37.127+05:30बहुत ही सुंदर भाव से सुशोभित ये रचना...बहुत ही खुब...बहुत ही सुंदर भाव से सुशोभित ये रचना...बहुत ही खुबसुरत और प्रभावशाली..।Er. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-13310106071926470432011-04-16T10:31:30.527+05:302011-04-16T10:31:30.527+05:30कैसा है यह प्रकाश
जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्व...कैसा है यह प्रकाश<br />जिसके आलोक में मैं अपने सारे स्वप्नों के साथ-साथ<br />अपनी समस्त कोमलता, अपनी मानवता,<br />अपनी चेतना, अपनी आत्मा, अपना अंत:करण<br />और अपने सर्वांग को धू-धू कर जलता देख रही हूँ<br />नि:शब्द, अवाक, चुपचाप !<br /><br /><br />बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति -<br />एक टीस दे रही है ह्रदय को -<br />एक प्रश्न पूछ रही है हम सब से ....<br />ये प्रकाश कहाँ ये तो दामिनी है ......<br />जिसकी चकाचौंध हमें झंकृत कर गयी है .....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-52867941819089454682011-04-16T10:21:00.477+05:302011-04-16T10:21:00.477+05:30भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप...भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-57820900668563580822011-04-16T10:17:57.105+05:302011-04-16T10:17:57.105+05:30आदरणीय साधना वैद जी
नमस्कार !
......बहुत सुन्दर भा...आदरणीय साधना वैद जी<br />नमस्कार !<br />......बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ! <br />सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.com