tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post5844409931211270841..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: ढाक के तीन पात Sadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-35326731243301911332010-12-01T10:57:48.775+05:302010-12-01T10:57:48.775+05:30bahut achchi lagi aapki rachna.bahut achchi lagi aapki rachna.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-61512759865535787802010-11-27T23:09:41.592+05:302010-11-27T23:09:41.592+05:30बहुत ही दुख होता है यह सब देख....तब और भी जब लड़की ...बहुत ही दुख होता है यह सब देख....तब और भी जब लड़की में पढने की ललक थी और आपने उसे सहारा भी दिया...पता नहीं कितने युग लगेंगे सुधार आने में..इतनी कच्ची सी उम्र में माँ बन जाती हैं....और फिर सारी ज़िन्दगी उनकी देखभाल में ही निकल जाती है.<br />निम्न वर्ग की यही कहानी है....मुंबई में तो बेटो को ट्यूशन दिलाकर महंगे स्कूल में पढ़ाया जाता है...और वे बार-बार फेल होते हैं...जबकि लडकियाँ वही..बर्तन घिसती हैं...<br />बड़ी ही मार्मिक कविता है...मन द्रवित हो आयाrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-67280716721949186792010-11-27T12:31:59.904+05:302010-11-27T12:31:59.904+05:30ाभी हालात सुधरे नही हैं आज इधर उधर हर जगह यही कुछ ...ाभी हालात सुधरे नही हैं आज इधर उधर हर जगह यही कुछ देखने को मिलता है। बहुत भावमय कविता और प्रसंग है बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-90044437988681080302010-11-27T10:26:50.423+05:302010-11-27T10:26:50.423+05:30प्रभावी पोस्ट ..... यही हकीकत है....प्रभावी पोस्ट ..... यही हकीकत है.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-60817117538541000062010-11-27T05:53:03.752+05:302010-11-27T05:53:03.752+05:30आज भी काम वाली बाइयों के घर की यही कहानी है |
बहुत...आज भी काम वाली बाइयों के घर की यही कहानी है |<br />बहुत कम लोग जाग्रत हें |कहीं कहीं तो लड़कों को भी नहीं पढाना चाहते |बहुत अच्छा लिखा है |बधाई <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-50847338526171115082010-11-26T20:57:58.439+05:302010-11-26T20:57:58.439+05:30सारा वृतांत इस तरह से लिखा की आँखों के आगे सब घूम ...सारा वृतांत इस तरह से लिखा की आँखों के आगे सब घूम सा गया...संगीता जी की बात से सहमत हूँ की इस वर्ग के लोगों का नजरिया अलग होता है...और आप हम जैसे लोग इनके पढाने का जिम्मा लेने के बाद भी इनके बाल विवाह जैसी सोचों को नहीं बदल सकते. दुख होता है ऐसी सोच पर.<br />कविता को बहुत निर्मल भावों से संजोया है.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-2639444824525676722010-11-26T18:46:20.686+05:302010-11-26T18:46:20.686+05:30सारे घटना क्रम को पढ़ कर यही लगता है कि इस वर्ग के...सारे घटना क्रम को पढ़ कर यही लगता है कि इस वर्ग के लोगों में जीवन को देखने का एक अलग नजरिया है ...आपका साथ पा कर भी अनीता शिक्षा नहीं पा सकी ...यह उसके भाग्य की विडम्बना ही है ...कविता के भावों को सीधे सरल शब्दों में व्यक्त किया है ...अच्छी प्रस्तुति .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-87222847293315572572010-11-26T17:17:51.459+05:302010-11-26T17:17:51.459+05:30आपकी कविता में मेरे मन के भाव है | पर इस वर्ग के ल...आपकी कविता में मेरे मन के भाव है | पर इस वर्ग के लिए हम खाली अफ़सोस मना कर नहीं बैठ सकते जागरूक लोगो कों इस दिशा में कुछ तो करना ही होगा |दर असल यह एक वर्ग की जंग है जिसके लिए निरंतर लगे रहना जरूरी है |बीना शर्माnoreply@blogger.com