tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post8357964044644883022..comments2024-03-26T14:47:22.000+05:30Comments on Sudhinama: मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ परSadhana Vaidhttp://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-79004416307186625172011-03-08T00:33:08.290+05:302011-03-08T00:33:08.290+05:30"गीत अब भी गूँजता है अनसुना ,
भावना के पुष्प ..."गीत अब भी गूँजता है अनसुना ,<br />भावना के पुष्प बिखरे हैं वहाँ ,<br />नेह की लौ जल रही है आज भी ,<br />जो बुझी थी, ना बुझेगी अब कभी"<br /><br />"दिल में किसी के प्यार का जलता हुआ दिया..<br />दुनिया की आँधियों से भला ये बुझेगा क्या..!!"<br /><br />एक स्नेह्पूरित मन के भाव.....<br />जो मिटाए नहीं मिटते...***Punam***https://www.blogger.com/profile/01924785129940767667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-45264169087379106272011-03-07T23:44:26.510+05:302011-03-07T23:44:26.510+05:30नेह की लौ जल रही है आज भी ,
जो बुझी थी, ना बुझेगी ...नेह की लौ जल रही है आज भी ,<br />जो बुझी थी, ना बुझेगी अब कभी !<br /><br />थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,<br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर ,<br /><br />man ke rishte aise hi hote hain...puri zindgi...ek lau me jalte hue.....mrigtrishna liye hue.<br /><br />sunder abhivyakti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-90658102986217346672011-03-06T15:07:08.233+05:302011-03-06T15:07:08.233+05:30मन बंधन रहित होता है | रस से सराबोर रचना|मन बंधन रहित होता है | रस से सराबोर रचना|स्मिताnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-44557231515354812442011-03-04T23:22:04.727+05:302011-03-04T23:22:04.727+05:30एक सूखा पात अटका है वहाँ ,
गुलमोहर के पेड़ की उस श...एक सूखा पात अटका है वहाँ ,<br />गुलमोहर के पेड़ की उस शाख पर ,<br />जो धधकता था सिंदूरी रंग में ,<br />अस्त होती सूर्य किरणों से कभी !<br /><br />बहुत सुन्दर रचना ...एक एक शब्द मन में उतरता हुआ ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-2637433676499208452011-03-02T16:20:58.776+05:302011-03-02T16:20:58.776+05:30जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,
उम्र भी है चढ़ चुकी...जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,<br />उम्र भी है चढ़ चुकी कई सीढ़ियाँ ,<br />रूह उस लम्हे में लेकिन क़ैद है ,<br />जो न बीता था, न बीता है कभी !<br /><br />bahut khubsurat rachna dil ko chu gaiMinakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-83208061590810616302011-03-02T09:02:19.712+05:302011-03-02T09:02:19.712+05:30ये बीते हुए लम्हों की कसक हैये बीते हुए लम्हों की कसक हैअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-49892557943370605452011-03-01T19:14:28.598+05:302011-03-01T19:14:28.598+05:30हम खड़े हैं आज भी उस मोड़ पर.. कि जहाँ उसने कहा था...हम खड़े हैं आज भी उस मोड़ पर.. कि जहाँ उसने कहा था 'ठहरो अभी आते हैं हम..'<br />चर्चामंच से होते हुए आज आप तक पहुँचने का सौभाग्य हुआ.. मन गदगद हो उठा आपको पढ़कर.. निस्संदेह बहुत कुछ सीखने को मिला है आपको पढ़ने की बाद.. और आगे भी मिलता रहेगा.. यही आशा है..Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13125315446648628836noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-14075584959582345252011-03-01T18:42:34.002+05:302011-03-01T18:42:34.002+05:30बहुत खूबसूरत भावों से आपने अपनी रचना को घड़ा है ......बहुत खूबसूरत भावों से आपने अपनी रचना को घड़ा है .... आभारDr Xitija Singhhttps://www.blogger.com/profile/16354282922659420880noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-40203064667005619452011-03-01T15:35:41.614+05:302011-03-01T15:35:41.614+05:30उम्र के फासले तय करता जिस्म मगर रूह वही अटकी रह जा...उम्र के फासले तय करता जिस्म मगर रूह वही अटकी रह जाती है ...इस उम्मीद में की कही पलटकर देख ले कोई ...<br />सदियों की प्रतीक्षा को सुन्दर शब्द मिले...<br />बेहतरीन भाव !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-82689716105383670942011-03-01T12:26:36.358+05:302011-03-01T12:26:36.358+05:30जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,
उम्र भी है चढ़ चुकी...जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,<br /><br />उम्र भी है चढ़ चुकी कई सीढ़ियाँ ,<br /><br />रूह उस लम्हे में लेकिन क़ैद है ,<br /><br />जो न बीता था, न बीता है कभी <br /><br />बहुत खूबसूरत अहसास को पिरोया है आपने... सचमुच पलकों पर थमे पल... जीवन की पूंजी होते हैंMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-47997106244251982542011-03-01T11:44:23.921+05:302011-03-01T11:44:23.921+05:30जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,
उम्र भी है चढ़ चुकी...जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,<br />उम्र भी है चढ़ चुकी कई सीढ़ियाँ ,<br />रूह उस लम्हे में लेकिन क़ैद है ,<br />जो न बीता था, न बीता है कभी !<br /><br />कुछ लम्हे रूह की दहलीज़ पर ही रुके रहते हैं कभी ना बीतने के लिये……………बेहतरीन भाव समन्वय्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-49640333825589889672011-03-01T11:30:25.629+05:302011-03-01T11:30:25.629+05:30बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...
नीरजबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-62264202633777470482011-03-01T08:03:34.943+05:302011-03-01T08:03:34.943+05:30जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,
उम्र भी है चढ़ चुकी ...जिस्म ने तय कर लिये कई फासले ,<br />उम्र भी है चढ़ चुकी कई सीढ़ियाँ ,<br />रूह उस लम्हे में लेकिन क़ैद है ,<br />जो न बीता था, न बीता है कभी !<br /><br />बेहतरीन भाव, यादों के जाल में उलझी सुंदर कविता.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-88761596812611028662011-03-01T07:37:46.751+05:302011-03-01T07:37:46.751+05:30नेह की लौ जल रही है आज भी ,
जो बुझी थी, ना बुझेगी ...नेह की लौ जल रही है आज भी ,<br />जो बुझी थी, ना बुझेगी अब कभी !<br /><br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर...<br />बहुत ही सुंदर, भावना से भरी , प्रभावित करती रचना ! शुभकामनाएँ !रजनीश तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/10545458923376138675noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-59204072110648198462011-03-01T05:40:24.603+05:302011-03-01T05:40:24.603+05:30बेहतरीन !बेहतरीन !Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-73484953740915150242011-03-01T00:40:49.632+05:302011-03-01T00:40:49.632+05:30थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,
मोह की उन श्रंखलाओ...थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,<br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर ,<br />पलट कर तो देखते तुम भी कभी !<br />aapki rachna bemisaal hoti hai ,bahut badhiyaa likhti hai aap ,sundar .baar baar padhi ....ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-44701703509871941562011-02-28T23:21:56.476+05:302011-02-28T23:21:56.476+05:30गीत अब भी गूँजता है अनसुना ,
भावना के पुष्प बिखरे ...गीत अब भी गूँजता है अनसुना ,<br />भावना के पुष्प बिखरे हैं वहाँ ,<br />नेह की लौ जल रही है आज भी ,<br />जो बुझी थी, ना बुझेगी अब कभी !<br /><br />बहुत भावमयी गीत ....<br />मन की वेदना को कहता हुआ ..<br />सुन्दर शब्द संयोजन !Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-92175905734316584962011-02-28T22:48:59.813+05:302011-02-28T22:48:59.813+05:30थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,
मोह की उन श्रंखलाओ...थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,<br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर ,<br />पलट कर तो देखते तुम भी कभी <br />bahut achcha likhi hain.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-20198699129396319432011-02-28T22:05:41.351+05:302011-02-28T22:05:41.351+05:30माशा अल्लाह क्या खूब कविता कही है आपने.
पहली लाइन ...माशा अल्लाह क्या खूब कविता कही है आपने.<br />पहली लाइन से जो रवाना होती है,अंतिम लाइन पर जाकर रुकती है.<br />बेमिसाल सम्मोहन .<br />सलाम.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-50372108198023791302011-02-28T20:57:43.683+05:302011-02-28T20:57:43.683+05:30कविता में नायिका के समर्पण की पराकाष्ठा को प्रदर्श...कविता में नायिका के समर्पण की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करती अमूल्य पंक्तिया..<br />साधन जी आप के पुरे सम्मान के साथ आप से नहीं अपने आप से ये प्रश्न है की क्या कहीं ये भावनाएं हमारे आगे बढ़ने के रह में एक अवरोध का कार्य नहीं करती???<br />समर्पण निःस्वार्थ होता है मगर मनुष्य अपनी प्रवृति से ही स्वार्थी होता है.. तो अक्सर ये प्रश्न स्वार्थी मन में आता है वो समर्पण किस काम का जिसकी अनुभूति करने मन उम्र बीत जाए...<br /><br />अदभुत शब्द चयन और भावात्मक कविता के लिए बधाइयाँ...<br /><br /><br />आशुतोष .आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-89757858779206344042011-02-28T20:20:31.163+05:302011-02-28T20:20:31.163+05:30अति सुंदर भावो से सजी आप की यह रचना, धन्यवादअति सुंदर भावो से सजी आप की यह रचना, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-15200858813308392492011-02-28T19:21:51.752+05:302011-02-28T19:21:51.752+05:30थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,
मोह की उन श्रंखलाओ...थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,<br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर ,<br />पलट कर तो देखते तुम भी कभी !<br /><br />पूरी की पूरी कविता ही सम्मोहित करनेवाली है...अति सुन्दरrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-52004327626643237342011-02-28T18:55:12.784+05:302011-02-28T18:55:12.784+05:30थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,
मोह की उन श्रंखलाओ...थीं कभी तुमसे मिलीं सौगात में ,<br />मोह की उन श्रंखलाओं से बँधी ,<br />मैं खड़ी हूँ आज भी उस मोड़ पर ,<br />पलट कर तो देखते तुम भी कभी !<br /><br />बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और मन को छू जाने वाले भाव..बहुत सुन्दरKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-67990348772840545372011-02-28T18:16:57.144+05:302011-02-28T18:16:57.144+05:30ापकी रचनायें हमेशा प्रभावित करती हैं। शुभकामनायें।...ापकी रचनायें हमेशा प्रभावित करती हैं। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8618924645821194545.post-35672734151270350332011-02-28T17:11:38.209+05:302011-02-28T17:11:38.209+05:30"जब फुहारें भिगोती थीं आत्मा-----
चाँद सूरज स..."जब फुहारें भिगोती थीं आत्मा-----<br />चाँद सूरज साथ में थे जब सभी "<br />सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति <br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.com