इंसानियत की बात है आगे को आइये,
जन हित के लिए हाथ मदद को बढ़ाइए !
जो दूर हैं घर गाँव से अपनों से दूर हैं,
मुश्किल घड़ी में उनका मनोबल बढ़ाइए !
है देश पे संकट बड़ा विपदा की है घड़ी,
मिलजुल के हराने के लिए साथ आइये !
ज़्यादह नहीं बस कीजिये इतना ही साथियों,
हर घर में थोड़ी रोटियाँ ज़्यादह बनाइये !
होगी क्षुधा जो शांत किसी भूखे पेट की,
पाकर दुआएँ पुण्य का खाता बढ़ाइये !
जाना नहीं है दूर कहीं घर में ही रहें,
घर पर ही रह के आप सबके काम आइये !
जब शत्रु हो बलवान और हो लक्ष्य भी बड़ा,
थोड़ा सा भार अपने कन्धों पर उठाइये !
बीतेंगे ये भी पल गुज़र ही जायेगी घड़ी,
बस फ़र्ज़ देश के लिए अपना निभाइए !
साधना वैद