तुम
क्या गए
यह जीवन हमारा
हो गया
बेरंग
प्रतीक्षा
करते रहे
व्याकुल नैन हमारे
डूब गए
तारे
दिलासा
सिर्फ झूठी
तुमने दी हमें
हमने किया
विश्वास
तुम
कब आओगे
अब तो कहो
चाहती हूँ
जानना
द्वार
खोल कर
प्रतीक्षारत ही मिलूँगी
जब आओगे
तुम
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद