Friday, April 11, 2025

सायली छंद

 




तुम 
क्या गए 
यह जीवन हमारा
हो गया 
बेरंग 

प्रतीक्षा 
करते रहे 
व्याकुल नैन हमारे 
डूब गए 
तारे 

दिलासा  
सिर्फ झूठी  
तुमने दी हमें  
हमने किया 
विश्वास 

तुम
कब आओगे 
अब तो कहो 
चाहती हूँ 
जानना  

द्वार 
खोल कर 
प्रतीक्षारत ही मिलूँगी 
जब आओगे 
तुम 

चित्र - गूगल से साभार 

साधना वैद 

Friday, April 4, 2025

माँ की वन्दना में कुछ माहिया

 





मैया तुम आ जाना 

अपने चरणों से 

घर पावन कर जाना 


मैं बाट निहारूँगी 

तेरे चरणों में 

निज शीश नवाऊँगी


मैं थाल सजाऊँगी

षठ रस व्यंजन का 

माँ भोग चढ़ाऊँगी


मैं चूनर लाऊँगी

चाँद सितारों से 

माँ रूप सजाऊँगी 


माँ द्वार सजाऊँगी 

पूरी श्रद्धा से 

तेरी महिमा गाऊँगी 


खुश होकर हँस देना 

अपने चरणों की

थोड़ी रज दे देना 


साधना वैद