Tuesday, October 18, 2011

हौसला


क्यों है हताशा साधना का

फल नहीं जो मिल सका ,

क्यों है निराशा वन्दना का

फूल जो ना खिल सका ,

हैं अनगिनत संभावनायें

राह में तेरे लिये ,

दीपक जला ले आस का, तम

दूर करने के लिये !

ले ले दुआ उनकी भरोसा

है जिन्हें तदबीर पर ,

तू थाम उनका हाथ तत्पर

जो कि तेरी पीर पर ,

जो जीतना ही है जगत को

हौसला चुकने ना दे ,

होगी सुहानी भोर भी तू

रात को रुकने ना दे !

साधना वैद

22 comments:

  1. होगी सुहानी भोर भी तू

    रात को रुकने ना दे !

    बहुत ही अच्छा संदेश, और खास बात यह है कि कविता को बार बार पढ़ते रहने का मन होता है।

    सादर

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  2. वो सुबहा कभी तो आयेगी ...
    बहुत सुन्दर ...

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  3. जो जीतना ही है जगत को

    हौसला चुकने ना दे ,

    होगी सुहानी भोर भी तू

    रात को रुकने ना दे !
    बहुत ही सुंदर शब्दों मैं लिखी जोश भरती हुई बेमिसाल रचना /बहुत बधाई आपको //मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /आभार /

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  4. कल 19/10/2011 को आपकी यह पोस्‍ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है ... आपके सुझावों का स्‍वागत है ...

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  5. सुन्दर भाव लिए रचना के लिए बधाई |
    आशा

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  6. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

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  7. जो जीतना ही है जगत को
    हौसला चुकने ना दे ,
    होगी सुहानी भोर भी तू
    रात को रुकने ना दे ...

    बहुत ही ओज़स्वी रचना ... होंसला रहना चाहिए ...

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  8. आपकी लेखनी अब छंदों की मुरीद हो गई है साधना दीदी जी। बहुत बहुत बधाई।

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  9. Suhani subah zaroor aayegi .

    Insha Allah ...

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  10. सार्थक और बेहद खूबसूरत रचना..बहुत सुन्दर ..

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  11. jiwan ki kathinaaiyon me hauslo se marg prashast karti sunder rachna. ham sab ko is se seekh leni chaahiye.

    aabhar.

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  12. साधना जी,इस सुंदर पोस्ट के लिए बधाई,आपके इस ब्लॉग में पहली बार आया,सभी रचनाये अच्छी लगी,

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  13. जो जीतना ही है जगत को

    हौसला चुकने ना दे ,

    होगी सुहानी भोर भी तू

    रात को रुकने ना दे !

    प्रेरक पंक्तियां !!

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  14. जो जीतना ही है जगत को
    हौसला चुकने ना दे ,
    होगी सुहानी भोर भी तू
    रात को रुकने ना दे ...

    sarthak sandesh..

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  15. सभी सुधी पाठकों की आभारी हूँ कि आपने इस रचना को सराहा ! सभी नवागंतुकों का स्वागत है ! इसी तरह मेरा उत्साहवर्ध करें यही विनम्र निवेदन है !

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  16. बहुत सुन्दर लिखा है आपने बधाई

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  17. जो जीतना ही है जगत को

    हौसला चुकने ना दे ,

    होगी सुहानी भोर भी तू

    रात को रुकने ना दे !

    ....बहुत प्रेरक अभिव्यक्ति..दीपावली की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं !

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  18. बहुत सुन्दर भाव से सजी रचना ...

    उम्मीद पर दुनिया कायम है ..

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