Sudhinama
Tuesday, April 22, 2025
मंजरी
›
नव कुसुमित पुष्पों से वन में करते हैं तरुवर श्रृंगार मधु पीने को व्याकुल भँवरे करते हैं मधुरिम गुंजार पवन मंजरी की खुशबू ले उड़ी क्षितिज...
2 comments:
Sunday, April 20, 2025
यह न्याय तो नहीं !
›
हमारी न्याय व्यवस्था का पहला उद्देश्य है कि चाहे कोई गुनहगार भले ही छूट जा ए लेकिन किसी बेगुनाह को दण्ड नहीं मिलना चाहि ए । निश्चित ही य...
2 comments:
Friday, April 18, 2025
वर्ण पिरामिड
›
क्या जानें आओगे भुलाओगे कौन बताये किस्मत हमारी फितरत तुम्हारी ! है पता मुझे भी आसाँ नहीं दुःख भुलाना पर करें भी क्या ज़ालिम ह...
6 comments:
Monday, April 14, 2025
बेला के फूल
›
बेला के ये फूल कितने सुन्दर, कितने सुवासित जैसे अधरों पे सजी तुम्हारी मधुर मुस्कान, जैसे हवाओं में तैरते तुम्हारे सुरीले स्वर ! हरे...
8 comments:
Friday, April 11, 2025
सायली छंद
›
तुम क्या गए यह जीवन हमारा हो गया बेरंग प्रतीक्षा करते रहे व्याकुल नैन हमारे डूब गए तारे दिलासा सिर्फ झूठी तुमने दी हमें हमन...
10 comments:
Friday, April 4, 2025
माँ की वन्दना में कुछ माहिया
›
मैया तुम आ जाना अपने चरणों से घर पावन कर जाना मैं बाट निहारूँगी तेरे चरणों में निज शीश नवाऊँगी मैं थाल सजाऊँगी षठ रस व्यंजन का माँ भ...
2 comments:
Monday, March 31, 2025
दरकता दाम्पत्य
›
असफल वैवाहिक रिश्तों के पीछे अनेक कारण हैं । उन अनेक कारणों में सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण कारण है आज के युवाओं की निरंकुश रूप से बढ़ती हु...
6 comments:
›
Home
View web version