दे
डाली थीं जीने को जब इतनी साँसें
जीने
का भी कोई तो मकसद दे देते ,
इन
साँसों की पीर तुम्हें जो पहुँचा आये
कोई
तो ऐसा हमदम कासिद दे देते !
आँखों
में ख़्वाबों की किरचें चुभ जाती हैं
इन
ज़ख्मों को कोई तो मरहम दे देते ,
अनगाई
अनजानी इन बिखरी आहों को
लहराने
को कोई तो परचम दे देते !
उन
अश्कों को जो आँखों में सूख गये हैं
बह
जाने का कोई तो ज़रिया दे देते ,
मन
में उठते और उमड़ते तूफानों को
मिल
जाने को कोई तो दरिया दे देते !
सदियों
से तनहा-तनहा थे हम तुम दोनों ,
मिल
पाने की कोई तो सूरत दे देते ,
कुछ
कहते कुछ सुनते हम तुम इक दूजे से
सिजदा
करने को कोई मूरत दे देते !
साधना
वैद
बहुत सुंदर..........
ReplyDeleteउन अश्कों को जो आँखों में सूख गये हैं
बह जाने का कोई तो ज़रिया दे देते ,
प्यारी अभिव्यक्ति...
अनु
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteजब दी काया तो उद्देश्य की पगडंडियों को रास्ते में तब्दील करने का मकसद भी देना था , फिर तो दसों दिशाएं मूरत बन जातीं सज़दे के लिए
ReplyDeleteसदियों से तनहा-तनहा थे हम तुम दोनों ,
ReplyDeleteमिल पाने की कोई तो सूरत दे देते ,
कुछ कहते कुछ सुनते हम तुम इक दूजे से
सिजदा करने को कोई मूरत दे देते ! .....बहुत सुन्दर रचना...
उन् अश्कों को जो आँखों में सूख गए
ReplyDeleteबह जाने का कोई तो जरिया दे देते |"
बहुत भावपूर्ण पंक्ति |गहन सोच और अभिव्यक्ति |
आशा
उन अश्कों को जो आँखों में सूख गये हैं
ReplyDeleteबह जाने का कोई तो ज़रिया दे देते ,
सुंदर अभिव्यक्ति ,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
अनगाई अनजानी इन बिखरी आहों को
ReplyDeleteलहराने को कोई तो परचम दे देते !
atyant bhaavprabal ...
sach me rah jaata hai bahut kuchh ankahaa bhi ...
इन साँसों की पीर तुम्हें जो पहुँचा आये
ReplyDeleteकोई तो ऐसा हमदम कासिद दे देते !
वाह ... अनुपम भाव संयोजित करते शब्द ...
आँखों में ख़्वाबों की किरचें चुभ जाती हैं
ReplyDeleteइन ज़ख्मों को कोई तो मरहम दे देते ,...
गहरे भाव ... सुन्दर लयबद्ध रचना ... मज़ा आ गया पढ़ के ...
बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeletewah.....
ReplyDeleteसदियों से तनहा-तनहा थे हम तुम दोनों ,
ReplyDeleteमिल पाने की कोई तो सूरत दे देते ,
कुछ कहते कुछ सुनते हम तुम इक दूजे से
सिजदा करने को कोई मूरत दे देते !
bahut hi pyari kavita
Thanks
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sach kahun to is rachna ko padh kar ek gaane ka mukhra yaad aa gaya...
ReplyDeletejeene k bhaane laakh magar....tujhko jeena aaya hi nahi....
koi bhi tera ho sakta tha....tune kisi ko apnaya hi nahi.
arey bhai apne aas-pas dekho...kisi k aage dil khol k to dekho...to zariye hi zariye mil jayenge :-)
sunder prastuti.
आँखों में ख़्वाबों की किरचें चुभ जाती हैं
ReplyDeleteइन ज़ख्मों को कोई तो मरहम दे देते ,
अनगाई अनजानी इन बिखरी आहों को
लहराने को कोई तो परचम दे देते ! .
मन की गहन पीड़ा को कहती रचना .भावपूर्ण अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना है.... वाह!
ReplyDeleteसादर.
बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा आज 07-6-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित है ... विवाह की सही उम्र क्या और क्यूँ ?? फैसला आपका है.....धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...
ReplyDeleteउन् अश्कों को जो आँखों में सूख गए
ReplyDeleteबह जाने का कोई तो जरिया दे देते |
मन को छू जाने वाली कविता
आभार
Bahut sundar kavita, lagta hai kavi ne sansar kee sabhee dukhiyahon ke dil kee baat sun kar kahdee hai, Kavita main bahut gaharai hai aur bahut gahree bhawnayen bhee, hamaree shubh kamnayen
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