मेरा राज दुलारा
मेरी आँखों का चाँद तारा
मेरा गौरव, मेरा अभिमान
मेरे दिल की धड़कन, मेरी जान !
ईश्वर से माँगा हुआ
मेरा सबसे अनमोल वरदान
तू कैसे मेरे जीवन का
सबसे बड़ा अभिशाप बन गया ?
जघन्यतम अपराधों से आरोपित
जेल की सलाखों के पीछे बंद हो
तू कैसे सबकी नज़रों में मुझे गिरा
मेरी कोख को शर्मिन्दा कर गया ?
भूलवश अभिशाप तो मैं
उसे मान बैठी थी
जो थी मेरी चौथी संतान
मेरी चौथी बेटी, तेरी बड़ी बहना,
मेरी प्यारी, सुन्दर, सुकुमार कन्या
मेरी गोद का सबसे अनमोल गहना !
बेटे की कामना से मोहग्रस्त
मैं उसे अपना सबसे बड़ा
दुर्भाग्य मान बैठी थी,
उसे अपनी नज़रों से दूर कर
जाने क्यों भगवान् से
मैं तुझे माँग बैठी थी !
मेरी भूल का दंड
मुझे अब मिल रहा है,
वरदान कैसे अभिशाप बन जाते हैं
इसका सबक आज अच्छी तरह से
मुझे मिल रहा है !
बेटियाँ ईश्वर का
सबसे बड़ा वरदान होती हैं
इसको जान चुकी हूँ मैं,
और संस्कारविहीन, सदाचरणविहीन,
मूल्यविहीन बेटे
किसीके भी जीवन का
सबसे बड़ा अभिशाप होते हैं
यह भी मान चुकी हूँ मैं !
मेरी आप सबसे यही विनती है
लक्ष्मी स्वरूपा कन्या
घर की रौनक होती है
उसको भरपूर प्यार, दुलार
और सम्मान दो
वही आँखों का उजाला है
जीवन का मधुर संगीत है
प्रभु का वरदान है
उसे उसका पूरा हक़ और
उचित स्थान दो !
साधना वैद
आपका हृदय से बहुत बहुत घन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! जय हिन्द !
ReplyDeleteबहुत ही संवेदनशील कविता। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteiwillrocknow.com
बहुत खूब.. सादर नमन आप को
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद नीतीश जी !
ReplyDeleteहृदय से आभार आपका कामिनी जी !
ReplyDeleteइसको जान चुकी हूँ मैं,
ReplyDeleteऔर संस्कारविहीन, सदाचरणविहीन,
मूल्यविहीन बेटे
किसीके भी जीवन का
सबसे बड़ा अभिशाप होते हैं
बहुत सुन्दर....
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! आभार आपका !
ReplyDelete