थी वो छोटी सी दुनिया
गिने चुने थोड़े से
लोग
चिर परिचित से जाने
पहचाने चहरे
बेहद प्यारे बेहद
अज़ीज़
कोई चन्दा कोई सूरज
तो कोई ध्रुव तारा
जैसे सारा आकाश
हमारा
जब दिल भर आता
किसीके भी सामने
दुःख की गगरी खाली
कर दी
और अतुल्य प्रेम के
अमृत से
लबालब भर लाये उसे
जीवन जीने की एक
नयी शुरुआत करने के
लिए
ऐसे थे रिश्ते ऐसा
था नेह हमारा
जैसे सारा संसार
हमारा !
अब इतनी बड़ी दुनिया
ना ओर न छोर बस शोर
ही शोर
आसपास लोगों की भीड़
ही भीड़
जाने कितने गड्ड
मड्ड होते चेेहरे
एकदम भावहीन, सपाट और बेगाने
सब अपरिचित, अनचीन्हे,
अनजाने
कोई किसीकी बात नहीं
सुनता
अपने ही अंतर के शोर
से जैसे
सबके कान सुन्न हो
गए हैं !
प्रदूषण की मटियाली आँधी
में
न चाँद दिखता है ना
सूरज
ना कोई ध्रुव तारा
दूर हो गया हमसे आकाश
हमारा
रिश्ते बिखर गए
प्रेम विटप मुरझा गया
अपनी वेदना की शिला
अपने ही गले से बाँधे
डूब रहे हैं हम दुःख
की
अतल गहराइयों में
जहाँ कोई नहीं है
हमारा
छिन गया है हमसे
वो बेहद प्यारा संसार
हमारा !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
शुभ प्रभात दीदी
ReplyDeleteवो छोटी सी दुनिया
गिने चुने थोड़े से लोग
बेहतरीन रचना..
सादर नमन..
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार मई 28, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-05-2019) को "प्रतिपल उठती-गिरती साँसें" (चर्चा अंक- 3349) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक धन्यवाद आपका दिग्विजय जी ! आभारी हूँ !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! मेरा स्नेहसिक्त वंदन स्वीकार करें !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteप्रेम विटप मुरझा गया
ReplyDeleteअपनी वेदना की शिला
अपने ही गले से बाँधे
डूब रहे हैं हम दुःख की
अतल गहराइयों में
बहुत सुंदर संदेश देती लाज़बाब रचना ,सादर नमस्कार साधना जी
हार्दिक धन्यवाद संजय ! आभार आपका !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना दी जी
ReplyDeleteसादर
बेहतरीन प्रस्तुति साधना जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! आभार आपका !
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