Friday, June 28, 2019

क्रोधित त्वरा विचलित गगन


(१)
क्रोधित त्वरा
विचलित गगन
शांत वसुधा
(२)
तरल नीर
फौलाद सी चट्टानें 
श्रृंगार मेरा
(३) 
तेरी बिजली 
मेरा सुन्दर रूप 
चमका जाती 
(४)
खिल जाते हैं 
प्रकाश प्रसून भी 
मेरे तन पे
(५)
भय न जानूँ
वसुधा मेरा नाम 
धैर्य महान
 (६)
दिखा दे सारे 
हथियार अपने 
धरा हूँ मैं भी 
(७)
क्रूर घटायें
हथकड़ी बिजली 
बंदिनी धरा
 (८)
डरा न पाईं 
बिजली की बेड़ियाँ
धरा मुस्काई
(९)
और चमको
ढूँढना है मुझको 
खोया ठिकाना 
(१०)
जलाता टॉर्च
गगन का प्रहरी 
ढूँढ लो राह 
(११)
जाल बिछाये 
मछुआरा नभ में 
तारों के लिये 
(१२)
छिपा है चाँद 
घनेरी घटाओं में 
खोजे दामिनी
(१3)
निर्मम घटा 
बिजली की चाबुक 
सहमी धरा
(१४)
डराती घटा 
घनघोर गर्जन 
हँसती धरा 
(१5)
दे चेतावनी 
गरजी तो बरस 
साहसी धरा 
(१६)
दे आश्वासन 
एक बूँद सौ दाने 
उर्वरा धरा 


साधना वैद

19 comments:

  1. बहुत सुंदर हायकू... साहसी धरा

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  2. बहुत खूब ,सादर दी

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  3. बहुत सुंदर हायकू... साहसी धरा

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (29 -06-2019) को "जग के झंझावातों में" (चर्चा अंक- 3381) पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है

    ….
    अनीता सैनी

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  5. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार संध्या जी ! स्वागत है आपका !

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  6. हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! बहुत बहुत आभार !

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  7. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  8. जलाता टॉर्च गगन प्रहरी...वाह क्या सुन्दर बिम्ब . आप तो हाइकू प्रवीणा हैं दीदी .

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  9. हाईकु की इस विधा से मैं अत्यंत प्रभावित हूँ और आपके इस प्रस्तुति ने मेरी रुचि और भी बढ़ा दी है। आपकी लेखनी को नमन है।

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    १जुलाई २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  11. हार्दिक धन्यवाद ऋतु जी ! आभार आपका !

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  12. हृदय से आपका बहुत बहुत आभार गिरिजा जी !

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  13. उत्साहवर्धन के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ! आभार आपका !

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  14. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !

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  15. बहुत सुन्दर साधना जी !
    सुधिनामा की पंक्तियाँ,
    हरती मन की पीर.
    देखन में छोटी लगें,
    भाव भरे गंभीर !

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  16. वाह!!साधना जी ,बहुत सुंदर हायकू ।

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  17. हार्दिक धन्यवाद गोपेश जी ! हृदय से आपका बहुत बहुत आभार !

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  18. शुभा जी आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !

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