Wednesday, May 31, 2023

घनेरी घटाओं का आलय – मेघालय - 2

 


नौ मई – दिल्ली से गुवाहाटी, गुवाहाटी से चेरापूँजी रात के तीन बजे होली डे इन होटल से चेक आउट किया और कैब से हम इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए ! समय से एयरपोर्ट पहुँच गए ! यहाँ थोड़ी सी समस्या का सामना करना पड़ा ! हमारे पास हमारे टिकिट्स की कोई हार्ड कॉपी या प्रिंट आउट नहीं था ! मात्र वही सूचना और टिकिट्स थे जो बुकिंग के बाद संतोष जी ने हमारे पास फोन के द्वारा भेजे थे ! प्रवेश द्वार पर जब हमने अपना फोन दिखाया तो वहाँ तैनात ड्यूटी ऑफीसर ने हमें पूरा टिकिट दिखाने के लिए कहा ! हमने बताया कि हमारे पास तो यही है तो उसने हमें इंडिगो के काउंटर से इनके प्रिंट आउट निकलवा कर लाने के लिए कहा ! हम गेट न. 4 पर थे और इंडिगो का काउंटर एयर पोर्ट के बिलकुल एक कोने में था ! राजन, मेरे पतिदेव, की पीठ में दर्द था ! मेरे भी घुटनों में तकलीफ थी ! उस समय तो उसका फरमान बिलकुल ऐसा लगा जैसे किसीने हिमालय पर चढ़ने के लिए कह दिया हो ! लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था ! सामान की ट्रॉली धकेलते हुए इंडिगो के काउंटर पर पहुँचे ! वहाँ जो सज्जन काउंटर पर थे वे बहुत ही हेल्पिंग थे ! उन्होंने तुरंत हमारे टिकिट्स के प्रिंट आउट निकाल कर दे दिए ! हमने लौटने वाली यात्रा के प्रिंट आउट भी उनसे उसी वक्त निकलवा लिए ! जिससे लौटने वाले दिन फिर से यही कवायद न दोहरानी पड़े ! इस सारी प्रक्रिया में बहुत देर लग गयी ! लेकिन उस भले आदमी ने हमारी उम्र और डॉक्टर का रेकमेंडेशन लेटर देख कर हमारे लिए तुरंत ही व्हील चेयर्स की व्यवस्था कर दी ! उसके बाद सब कुछ बहुत आसान हो गया ! सामान इत्यादि के चेक इन कराने की ज़िम्मेदारी हमारे अटेंडेंट ने सम्हाल ली ! हमें कुछ नहीं करना पड़ा ! हमारे बैग्स चेक इन करवा कर, सीक्योरिटी चेक की औपचारिकताओं से हमें निकलवा कर चार सवा चार बजे तक बोर्डिंग लाउंज में हमें पहुँचा कर हमारे व्हील चेयर के अटेंडेंट्स हमें बाय बाय कर चले गए ! राजन ने उन्हें विदा कर दिया ! जबकि उनकी ड्यूटी हमें हवाई जहाज की सीट तक ले जाकर बैठाने की होती है ! खैर कोई बात नहीं ! दरअसल यह पहला अवसर था कि हम लोगों ने व्हील चेयर की सुविधा का उपयोग किया था ! इसके पूर्व देश विदेश की कई यात्राएं कर चुके थे लेकिन कभी व्हील चेयर पर नहीं बैठे ! इसलिए शायद उनका मन इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था कि हम अब फिजीकली इतने फिट नहीं रहे ! बोर्डिंग लाउंज में हमारे इस खूबसूरत सफ़र के बाकी हमसफ़र भी प्रसन्न चित्त हँसते बतियाते चाय कॉफ़ी की चुस्कियाँ लेते हुए मिल गए ! देहरादून से विद्या सिंह जी, शोलापुर से प्रमिला वर्मा जी, भोपाल से संतोष श्रीवास्तव जी और अंजना श्रीवास्तव जी, दिल्ली से रचना पंडया जी और प्रमिला जी की बेटी यामिनी श्रीवास्तव जी सबसे मिल कर बहुत अच्छा लग रहा था ! हमारे ग्रुप में विभिन्न आयु वर्ग के लोग थे लेकिन एक बात तय थी कि जोश, उत्साह और ऊर्जा में सब किसी भी टीन एजर से कम न थे और आने वाले सफ़र के लिए सब समान रूप से उल्लसित उत्साहित थे ! अंतत: प्रतीक्षा की घड़ियाँ समाप्त हुईं और सही वक्त पर हम दिल्ली से इंडिगो एयरलाइन के विमान में सवार हुए और सही वक्त पर गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरडोलोई हवाई अड्डे पर उतर गए ! असम प्रदेश का एक महत्वपूर्ण शहर है गुवाहाटी ! यहाँ का एयरपोर्ट छोटा सा है लेकिन सुन्दर और साफ़ सुथरा है ! कन्वेयर बेल्ट से अपना सामान लेकर जल्दी ही एयरपोर्ट से हम बाहर निकल आये ! हमें यहीं से मिनी बस के द्वारा रास्ते के सुन्दर पर्यटन स्थलों को देखते हुए मेघालय प्रदेश के चेरापूँजी तक जाना था ! नौ तारीख की रात हमें चेरापूँजी के बेहद खूबसूरत रिसोर्ट में गुज़ारनी थी जहाँ पहले से ही हम लोगों के लिए कमरे बुक हो चुके थे ! हम लोग जल्दी ही इस यात्रा पर निकलना चाह रहे थे लेकिन हमारी बस पता नहीं क्यों लेट हो रही थी ! हम सब एयरपोर्ट के बाहर बस की प्रतीक्षा में बैठे हुए थे ! आगे की यात्रा से पूर्व सबको नाश्ता भी करना था क्योंकि फ्लाइट में कुछ न खाने की वजह से सबको इस समय तक जम के भूख भी लग आई थी ! बस के आते ही सबके चेहरों पर बत्तीस इंच की मुस्कराहट फ़ैल गयी ! हमारे बस के चालक और सहचालक दोनों बहुत ही भले और विनम्र खासी नौजवान थे जिनके नाम थे दुद्दू और दिन्तू ! दिन्तू हमारी मिनी बस के चालक थे और बस को पहाड़ी रास्तों पर चलाने में बहुत ही निपुण थे और दुद्दू बहुत ही हँसमुख, मिलनसार और मददगार प्रवृत्ति के इंसान थे जो कंडक्टर के रूप में इस बस पर नियुक्त थे ! जितने दिन हमारे साथ रहे दोनों ने हम सभी की छोटी से छोटी ज़रुरत का बहुत ही अच्छी तरह से ध्यान रखा और हर संभव हमारी सहायता की ! उन्होंने हम सीनियर सदस्यों के लिए जंगल से बाँस काट कर बहुत ही बढ़िया लाठियाँ बना कर दीं जो पूरे सफ़र में हमारे बहुत काम आईं ! अगर बाँस की यह लाठी हमारे पास नहीं होती तो लिविंग रूट ब्रिज तक पहुँचने की तो हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे ! इसका किस्सा उचित समय पर सुनायेंगे न आपको ज़रा धैर्य रखिये ! किसी भी जगह के आम नागरिकों का स्वभाव और आचरण देख कर हम इस बात का अनुमान लगा सकते हैं कि यहाँ के लोग किस तरह के होंगे तो मेरा और मेरे पतिदेव दोनों का यही मत है कि आसाम और मेघालय के लोग बहुत ही सरल और मिष्टभाषी हैं और ये अपने पकृति से जुड़े सीधे शांत एवं सरल जीवन से बहुत संतुष्ट और सुखी हैं ! इन्हें अपनी प्राकृतिक संपदा और समृद्धि पर बहुत नाज़ है ! जैसे ही हम सब बस में सवार हुए हमारा गुवाहाटी का पहला स्पॉट एक छोटा सा रेस्टोरेंट था जहाँ सबने छोले और पराँठे का जम कर ब्रंच लिया ! इस रेस्टोरेंट का नाम था आहार रेस्टोरेंट ! शोकेस में कई प्रकार की मिठाइयाँ व नमकीन इत्यादि भी बिक रहे थे ! यहाँ दीवार पर लगा हुआ मेन्यू हमारा ध्यान आकर्षित कर रहा था तो मैंने उसकी भी एक फोटो ले ली ! एक प्यारी सी युवा लड़की हम सबको अटेंड कर रही थी जो शायद उस रेस्टोरेंट की मालकिन भी थी ! बहुत अच्छा लग रहा था उसका आत्मविश्वास देख कर ! पराँठे ठीक थे लेकिन छोले बिलकुल बेस्वाद और फीके थे ! मन कर रहा था किचिन में जाकर उसे बता आऊँ कैसे बनाते हैं ढंग के छोले ! लेकिन कहते हैं ना भूख लगने पर किवाड़ भी पापड़ लगते हैं ! बिना हीले हवाले के हम सबने बड़े प्रसन्न भाव से इस नाश्ते का आनंद लिया ! मंज़िल दूर थी और हमें रास्ते में कई सुन्दर झीलों और झरनों को देखते हुए जाना था इसलिए बिना समय नष्ट किये हुए भरपेट नाश्ता करके हम आगे की यात्रा के लिए चल पड़े ! रास्ते में हाईवे के किनारे बड़ी खूबसूरती से सजी हुई फलों की अनेकों दुकाने दिखाई दीं ! उनमें बहुत ही बढ़िया बेमिसाल रसीले फल सजे हुए रखे थे ! बड़े बड़े टोकरों में आलूचे, प्लम, अंगूर इत्यादि रखे हुए थे ! केले तो इतनी खूबसूरती से सजे हुए थे कि उन्हें देख कर मन मुग्ध हो गया ! हमारे यहाँ कैसे ढेर बना कर ठेलों पर या बोरों पर रख कर फल वाले केलों को बेचते हैं ! कई बार तो अपने वज़न से ही दब कर केले खराब और पिलपिले हो जाते हैं ! लेकिन वहाँ केले ज़मीन पर या टोकरों में नहीं रखे हुए थे बल्कि बड़े करीने से दूकान में रस्सी के सहारे केले के गुच्छों को टाँग कर रखा गया था जिससे सभी केलों को पर्याप्त हवा भी मिल रही थी और कोई भी केला काला या पिलपिला नहीं दिख रहा था ! वहाँ कमल के फूल की कलियाँ भी फलों की दुकानों पर बहुतायत में मिल रही थीं जो दूर से देखने में बड़े साइज़ के भुट्टे जैसी लग रही थीं ! इनकी भी बहुत स्वादिष्ट सब्जी बनती है ! फलों का साइज़ देख कर हम हैरान थे और केले तो इतने स्वादिष्ट थे कि क्या कहें ! आगरा लौट कर आने के बाद केले खाने का मन ही नहीं हुआ ! चलिए आज की पोस्ट यहीं तक ! अगली पोस्ट में आपको अपने साथ ले चलूँगी कुछ बहुत ही सुन्दर पर्यटन स्थलों पर जहाँ के दिलकश नजारों से आपकी नज़रें हटना ही नहीं चाहेंगी ! तो आज इजाज़त दीजिये ! अगली पोस्ट में चलते हैं मेघालय की खूबसूरत वादियों की सैर पर ! तैयार रहिएगा ! फिलहाल शुभ रात्रि !

साधना वैद

Monday, May 29, 2023

घनेरी घटाओं का आलय : मेघालय - 1

 


आठ मई - आगरा से दिल्ली की ओर प्रस्थान- 


एक लम्बी अवधि के बाद फिर से प्रोग्राम बना था घूमने का और वह भी मेरी मनपसंद जगह का जिसे देखने की साध वर्षों से अपने मन में संजोये थी और जहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता के बारे में पढ़ सुन कर उसे साक्षात देखने की उत्सुकता अपने चरम पर थी ! आप समझ तो गए ही होंगे यह स्थान है उत्तर पूर्वी भारत का बेहद खूबसूरत स्थान मेघालय !
उज्बेकिस्तान की यात्रा के बाद विश्व मैत्री मंच के तत्वावधान में पर्यटन के प्रसार प्रचार के हितार्थ मेघालय त्रिपुरा की सैर का यह प्रस्ताव मेरे लिए एक सुखद फुहार जैसा ही था जिसे मैंने बिना एक पल गँवाए तुरंत ही स्वीकार कर लिया ! पतिदेव को मनाने के लिए भी बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ी क्योंकि इन प्रदेशों को देखने की इच्छा इनके मन में भी कहीं न कहीं बलवती तो थी ही ! लिहाजा तुरंत ही इच्छित धनराशि जमा करवा कर हमने अपना नाम जाने वालों की सूची में दर्ज करवा लिया !

पिछले वर्ष काश्मीर का जो कार्यक्रम बना था मैं उसमें नहीं जा पाई थी ! एक तो मेरी पसली में फ्रैक्चर हो गया था दूसरे मेरी पोती बरखा का टेंथ बोर्ड का इम्तहान था ! उसे सालाना परीक्षाओं के दौरान छोड़ कर जाना मुझे उचित नहीं लगा फिर मेरी पसली में भी काफी दर्द था इसलिए सब्र करना पड़ा लेकिन मेघालय त्रिपुरा घूमने के इस अवसर को मैं किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी इसलिए अति व्यस्त होते हुए भी और कई प्रतिकूल परिस्थितियों की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भी हमने अपने सूटकेस इस यात्रा के लिए पैक करना आरम्भ कर दिए !

अंतर्राष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की संस्थापिका एवं संचालिका आदरणीया संतोष श्रीवास्तव जी हमारी ग्रुप लीडर थीं ! जैसा वो कहती गयीं हम करते गए और हमारे आने जाने के सारे टिकिट्स वगैरह भी उन्हीं के सौजन्य से बुक हो गए ! इस सुखद आनंदमय प्रवास का समय था नौ मई से सोलह मई के बीच ! बहुत छोटा सा ग्रुप था कुल आठ लोगों का ! यह भी हमें जाने से दो चार दिन पहले ही पता चला था ! इस यात्रा में हमें मेघालय के कुछ बहुत ही प्रसिद्ध एवं बहुत ही खूबसूरत प्राकृतिक पर्यटन स्थल देखने थे जो कुछ चेरापूँजी में और कुछ उसके आस पास स्थित हैं ! मेघालय की राजधानी शिलौंग की सैर करनी थी जो अपने सम्पूर्ण नैसर्गिक सौन्दर्य के साथ भी एक छोटा सा बहुत ही आकर्षक एवं आधुनिक नगर है ! इसके अलावा अपने धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक वैभव से समृद्ध त्रिपुरा प्रांत की राजधानी अगरतला एवं उसके आस पास के स्थानों की सैर भी हमें करनी थी जो अपने प्राचीन मंदिरों, महलों एवं राजसी ऐश्वर्य के लिए सारे विश्व में प्रसिद्ध हैं !  

उज्बेकिस्तान की यात्रा में लगभग तीस लोगों का ग्रुप था ! लेकिन इस बार केवल आठ ही लोग थे लेकिन मत पूछिए कि हम आठ लोगों ने ही कितना धमाल किया, कितने मज़े लिए और हम सबको इस ट्रिप में कितना आनंद आया ! एक छोटा सा परिवार सा बन गया था हम लोगों का ! सब एक दूसरे के दुख तकलीफ में पूर्ण समर्पण के साथ बराबर से खड़े हुए और समान रूप से चिंतित और प्रभावित !
नौ मई की सुबह पौने छ: पर हमारी फ्लाइट को दिल्ली से गुवाहाटी के लिए उड़ान भरनी थी ! इसके लिए हमें रात को दो से तीन के बीच एयरपोर्ट पहुँच जाना था ! अगर आगरा से ही देर से निकलते और सीधे एयरपोर्ट ही पहुँचते तो बड़ी थकान हो जाती और सारी रात का जागरण हो जाता सो अलग ! इसलिए यही उचित समझा गया कि आठ तारीख को ही आगरा से दिल्ली के लिए प्रस्थान कर लिया जाए और एक रात के लिए किसी होटल में ठहर कर कुछ घंटों की नींद लेकर तीन साढ़े तीन बजे तक एयरपोर्ट पहुँच जाएँ ताकि अगले दिन के लिए यथेष्ट ऊर्जा भी बची रहे और उत्साह भी ! हमसे भी अधिक हमारे बेटे हमारी इस यात्रा के लिए उत्साहित थे ! एयरपोर्ट के ही पास ‘होली डे इन’ में बड़े बेटे स्वरुप ने हमारे लिए कमरा बुक करा दिया था और हम शाम को लगभग पाँच बजे होटल में चेक इन करके अपने आरामदायक कमरे में दिन भर की थकान उतार रहे थे ! होटल बहुत ही खूबसूरत है और उसका इंटीरियर देखते ही बनता है ! साँझ उतरते-उतरते ही नीचे डाइनिंग हॉल में जाकर बेहद ज़ायकेदार डिनर लेने के बाद हमने रात दो बजे की वेक अप कॉल रिसेप्शन पर बुक कराई ! रात को साढ़े तीन बजे एयर पोर्ट पहुँच कर रिपोर्ट करने की समस्या थी लेकिन इसका भी सामाधान आसानी से हो गया ! रात को तीन बजे होटल की कैब हमें एयर पोर्ट ड्रॉप कर देगी यह सब सुनिश्चित करने के बाद हम जल्दी ही सोने के लिए चले गए !

तो दोस्तों आज का किस्सा यहीं तक ! आपको आगे का यात्रा वृत्तांत भी तो सुनाना हैं ना ! यह था मेघालय त्रिपुरा के ट्रिप के पहले दिन यानि कि आठ तारीख का रोज़नामचा ! अभी तो खूब सारे स्थानों की आपको सैर करानी है तो तैयार रहिये मेरी अगली पोस्ट पढ़ने के लिए ! आपको सैर करायेंगे मेघालय के कुछ बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थलों की ! आज विदा दीजिये ! आपसे जल्दी ही मुलाकात होगी यह मेरा वादा है आपसे !

शुभ रात्रि !

साधना वैद    


Saturday, May 27, 2023

जीवन घट

 




देख रही हूँ

जीवन घट रीतता ही जाता है

सुख का कोई भी पल

कहाँ थोड़ी देर भी टिकता है

वक्त के हलके से झोंके के साथ

बीतता ही जाता है !

बड़े नाज़ से उठाये थी मैं

अपने अनमोल रिश्तों की

खूबसूरत सी कलसी

कितनी उल्लसित थी  

बाँध ली थीं खूब कस कर  

सारी खुशियाँ मुट्ठी में !

पुरज़ोर कोशिश रहती थी

एक भी नन्हा सा लम्हा

कभी खिसकने न दूँ अपने हाथों से !

सारी दुनिया गुलज़ार कर दूँ

अपने मधुर गीतों से

अपनी मीठी बातों से !

लेकिन जाने कब, कैसे, किस जतन से

यह निष्ठुर वक्त मुझे छल गया

और मेरी हथेलियों से

मेरी खुशियों का वो राजमहल

रेत की मानिंद फिसल गया !

रीतता जाता है मेरा जीवन घट !

अब जो शेष है उस घट में

वो हैं कुछ आतंकित उम्मीदें,

कुछ सहमी हुई अभिलाषाएं,

कुछ कुम्हलाये हुए सपने

और हैं वक्त के सफ़र में

हाथ छुड़ा कर जाने को तैयार

कई परिचित अपरिचित चहरे

कुछ बेगाने कुछ अपने !

जाने कब कौन हाथ छुड़ा कर

अगले स्टेशन पर उतर जाए

और मेरा जीवन घट

और भी रीता कर जाए !  

 

चित्र - गूगल से साभार 



साधना वैद

 

 


Wednesday, May 24, 2023

कॉकरोच से गुफ्तगू

 



ठहर बच्चू

कहाँ भाग रहा है

पकड़ लिया

 

बड़ा सताया

आज पकड़ आया

चैन आ गया

 

घुस डिब्बे में

मना तू पिकनिक

दोस्तों के संग

 

बंद कर दूँ ?

लगा दूँ ना ढक्कन ?

क्या कहता है ?

 

जी करता है

उखाडूँ तेरी मूँछें

तोडूँ कमर

 

पर जाने दे

माफ़ कर देता हूँ

एक वादे पे

 

नहीं करेगा

कोई चीज़ खराब

शांत रहेगा

 

भागेगा नहीं

नुक्सान न करेगा

चुप बैठेगा

 

बोल करेगा

मुझसे ये प्रोमिस

मानेगा बात ?

 

तो आ जा फिर

दोस्त बन जाएँ औ  

प्यार से रहें !

 

साधना वैद

 

 


Tuesday, May 2, 2023

श्रमिक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

 




करते रहे
जगत को रौशन
बुझे से हम

बनाते रहे
बुलंद इमारतें
पिद्दी से हम

सजाते रहे
सबके आशियाने
लुटे से हम

छप्पन भोग
परसते थालों में
भूखे से हम

सुनाते रहे
खुशयों के नगमे
रोते से हम

बजाते रहे
ढोल ताशे नगाड़े
थके से हम

पिलाते रहे
मीठे पेय सबको
प्यासे से हम

अमीर वर्ग
श्रमिक दिवस का
आनंद लेगा

श्रमिक वर्ग
उन अतिथियों की
सेवा करेगा

ऐसे ही बस
श्रमिक दिवस भी
मन जाएगा


साधना वैद