10 मई – चेरापूँजी के दर्शनीय
स्थल
1.नोह्शंगथियांग फॉल्स अथवा
सेवेन सिस्टर्स फॉल्स
ऊदी घटाओं से घिरे रिजोर्ट
स्मोकी फॉल्स की बेहद खूबसूरत पहाड़ियों से ढेर सारी कानाफूसी करके और सुबह के सूरज
से ढेर सारी रोशनी और ऊर्जा लेकर हम नियत समय पर अपनी मिनी बस में सवार हो गए और समवेत
स्वर में गायत्री मन्त्र और अंजना जी द्वारा प्रस्तुत की गयी गणेश स्तुति के उद्घोष
के साथ चल पड़े आज के सफ़र पर ! सबसे पहले हमारा जत्था जिस स्थल पर पहुँचा वह था
नोह्शंगथियांग फॉल्स अथवा सेवेन सिस्टर्स फॉल्स ! यह एक बहुत ही सुन्दर स्थान है
जहाँ से हरी भरी वादियों की पृष्ठभूमि में दूर स्थित एक विशाल झरना दिखाई देता है
!
नोहशंगथियांग फॉल्स चेरापूँजी से लगभग 4 किमी दूर स्थित
एक आकर्षक झरना है जिसका नाम भारत के सबसे ऊँचे
झरनों की सूची में शामिल है ! अगर
आप चेरापूँजी की
यात्रा करने जा रहे हैं तो आपको इस खूबसूरत झरने को देखने के लिए अवश्य जाना चाहिए ! नोहशंगथियांग फॉल्स मेघालय के मावसई
गाँव में स्थित है, जिसमें पानी लगभग 1033 फीट की
ऊँचाई से गिरता है और सात अलग-अलग
भागों विभाजित हो जाता है ! चूँकि इस झरने का पानी सात भागों में विभाजित होता
है इसलिए इसे सेवन सिस्टर वाटरफॉल भी कहा जाता है ! नोहशंगथियांग फॉल्स के आकर्षक दृश्य को पूरी भव्यता के साथ बारिश के समय
ही देखा जा सकता है !
बहुत आनंद आ रहा था यहाँ
सबको ! सबने एक दूसरे के साथ अलग अलग कोम्बिनेशंस में खूब तस्वीरें खींची भी और
खिंचवाई भी ! पास ही सोवेनियर्स की एक छोटी सी शॉप भी थी जहाँ कुछ साथियों ने अपने
पर्स में बंद बाहर निकलने को आतुर नोटों को यहाँ की हवा और रौशनी का आनंद लेने का भी
पर्याप्त अवसर दिया !
चेरापूँजी में वर्ष में
सबसे अधिक वर्षा होने का विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज किया जा चुका है ! बारिश के
महीनों के दौरान फॉल्स बहुत सक्रिय होते हैं और नोहशंगथियांग
फॉल्स के अद्भुत दृश्य को देखने का यह सबसे अच्छा समय है। यहाँ जगह-जगह जाने अनजाने छोटे बड़े अनेकों झरने देखने को मिल जाते हैं !
सेवेन सिस्टर्स फॉल के ही पास सड़क के दूसरी तरफ एक और अनाम लेकिन बहुत ही सुन्दर सा
झरना था ! झरने के ऊपर पुल था ! पुल के नीचे झरने के दूसरी तरफ एक खासी युवक बहते
पानी में बर्तनों को धो रहा था !
2.मौसमाई गुफा (Mawsmai Cave)
हमारा अगला पड़ाव था मौसमाई
गुफा ! यहाँ बड़े ही करीने से कटे हुए फल ठेलों पर बिक रहे थे ! हमें अपनी बैंकॉक
यात्रा की याद आ गयी जहाँ शहर में बिलकुल फ्रेश एवं बड़े की कलात्मक ढंग से काटे गए
ताज़े फलों के ठेले शहर के हर मार्ग पर वैसे ही दिखाई देते थे जैसे हमारे यहाँ छोले
भटूरे, पाव भाजी और भेलपूरी के दिख जाते हैं ! सबको
प्यास तो लग ही आई थी ! ताज़े रसीले फलों का आनंद लेकर सबने गुफा की ओर प्रस्थान
किया ! विद्या जी, संतोष जी एवं प्रमिला जी
ऊपर गुफा देखने नहीं गयीं ! लेकिन हम अपनी जिज्ञासा का शमन नहीं कर पा रहे थे !
राजन की पीठ में प्रॉब्लम थी मेरे घुटने में लेकिन यह सोच कर कि, जितनी दूर तक जा
सकेंगे जायेंगे बहुत गहराई में नहीं जायेंगे, कम से कम क्या और कैसी जगह है यह तो
देख आयेंगे, हमने भी टिकिट लिये और सीढ़ियों पर चढ़ने लगे !
मौसमाई गुफा चेरापूँजी में
सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है, जो पर्यटकों के
आकर्षण के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है ! यह चूने के पत्थर की गुफा है और चेरापूँजी
से मात्र 6 किमी की दूरी पर स्थित है ! मावसई गुफा मेघालय
के पूर्वी खासी पहाड़ियों में गुफाओं की एक लुभावनी भूलभुलैया है ! अन्दर काफी नमी और
अन्धेरा है ! लेकिन जब जगमगाती रोशनी चूने की इन नम चट्टानों से टकराती है तो अनगिनत रंग और प्रकाश
के पैटर्न का निर्माण होता है ! यदि मौसमाई गुफा के गहरे कोनों का पता लगाना है तो
टॉर्च साथ लेकर जाना चाहिए ! गुफा की लंबाई सिर्फ 150 मीटर है जो क्षेत्र की अन्य गुफाओं की तुलना में कम है लेकिन यह निश्चित रूप से
भूमिगत जीवन के रहस्य की एक झलक अवश्य
प्रदान करती है ! मौसमाई गुफा चेरापूँजी
का सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है और यहाँ की विजिट निश्चित रूप से
हमारे लिए बहुत ही रोमांचक एवं ज्ञानवर्धक रही ! इसके खुलने का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक है व टिकिट प्रति व्यक्ति १०/- है !
राजन और मैं बहुत गहराई तक
नहीं गए क्योंकि अन्दर फिसलन भी बहुत थी और जाने का रास्ता भी सुरक्षित और सुगम्य
नहीं था ! जगदलपुर के पास कुटुम्बसर की चूने की केव्स मेरी पहले की देखी हुई हैं इसलिए मुझे अंदाज़ था कि अन्दर का नज़ारा कैसा होगा ! राजन की
पीठ का ख़याल कर मैं जोखिम नहीं उठाना चाहती थी इसलिये थोड़ा सा अन्दर जाने के बाद
ही हम बाहर आ गए ! अंजना जी, रचना और
यामिनी ने गहराई तक जाकर पूरा लुत्फ़ लिया ! फ़ोटोज़ देख कर आपको इन गुफाओं का पूरा
आइडिया हो जाएगा !
3. इको पार्क (The Eco Park)
हर स्थान के साथ कुछ मज़ेदार
संस्मरण भी जुड़ जाते हैं ! बिना पार्क की स्पेलिंग की ओर ध्यान दिए हम लोग इसी मुग़ालते
में रहे कि इस पार्क के आस पास की पहाड़ियों से अपनी आवाज़ की प्रतिध्वनि सुनाई देगी
! पार्क में प्रवेश करने के बाद हमने ज़ोर-ज़ोर से बच्चों के नाम पुकारने शुरू किये
और बड़े ध्यान से सुनने की कोशिश की कि कहीं से तो हमारी आवाज़ की ईको सुनाई दे !
लेकिन कहीं से कोई आवाज़ नहीं आई तो अपनी ही बेवकूफी पर हँसी भी बहुत आई ! हमारी
टीम की सबसे साइलेंट और धीर गंभीर सदस्य रचना ने ध्यान दिलाया कि यह प्रतिध्वनि
वाला echo नहीं है पर्यावरण वाला eco है ! यहाँ सबने झूले का खूब आनंद लिया और लम्बे चौड़े पार्क
के हर कोने की खूब सैर की ! यहाँ एक मजेदार सा खट्टा मीठा फल बिक रहा था चटपटे
मसाले के साथ उसका भी सबने भरपूर स्वाद लिया और फोटो सेशन तो हर स्थान की अनिवार्य
गतिविधि थी ही ! हमने और विद्या जी ने भी टाइटेनिक के पोज़ में खूब फोटो खिंचवाए जो
कुछ तो दूरी की वजह से और कुछ बादलों की कृपा से बेहद धुँधले आये !
ईको पार्क चेरापूँजी के
सबसे लोकप्रिय स्थानों में से एक है और चेरापूँजी शहर से 7 किलो मीटर्स की दूरी पर स्थित है ! इको पार्क राज्य सरकार द्वारा मेघालय
के पठारों में बनाया गया है ! यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केंद्र है
और पिकनिक के लिए भी खूब प्रयोग में आता है ! शिलौंग कृषि बागवानी ने इस पार्क को
कई खूबसूरत ऑर्किड दिए हैं जिन्हें इको पार्क के ग्रीनहाउस में रखा गया है !
इको पार्क का सबसे बड़ा
आकर्षण यह है कि यहाँ से हम बांग्लादेश के सिलहट जिले के मैदानों के दृश्यों का आनंद भी ले सकते हैं !
यहाँ पर्यटक चेरापूँजी के ‘ग्रीन कैन्यन’ के साथ-साथ आसपास के झरनों के सुंदर दृश्य का आनंद भी ले
सकते हैं ! इको पार्क की सीमाओं में एक क्रिस्टल क्लियर वाटर स्ट्रीम भी है !
ईको पार्क में घूमने के बाद
सबको जम कर भूख लग आई थी ! अपने स्वादिष्ट भोजन और बेहद खूबसूरत लोकेशन के लिए
मशहूर होटल ओरेंज रूट्स में हम सब खाना खाने के लिए गए ! यहाँ थाली सिस्टम था और
खाना तो इतना लाजवाब कि क्या बताएं ! यहाँ की पारंपरिक खासी ड्रेस में बहुत ही
प्यारी लड़कियाँ और लड़के खाना परोसने का कार्य कर रहे थे ! सब इतने सुन्दर लग रहे
थे जैसे मॉडेलिंग कर रहे हों ! आस पास के खूबसूरत दृश्यों का आनंद लेते हुए हम
सबने जी भर कर भोजन का मज़ा लिया ! मैंने नोटिस किया सभी वेट्रेसेज़ जो खाना सर्व कर
रही थीं अतिरिक्त विनम्र और मिष्टभाषी थीं ! शायद मेहमाननवाज़ी का यह हुनर उनकी
ट्रेनिंग का अनिवार्य हिस्सा रहा होगा ! एक हेड वेट्रेस ने मेरे अनुरोध पर खासी
स्टाइल में मुझे मेरा दुपट्टा बाँधना भी सिखाया ! पोस्ट बहुत लम्बी हो गयी है !
लंच के बाद के पर्यटन स्थलों पर अब आपको अगली पोस्ट में ले जाउँगी ! आज की पोस्ट
यहीं तक ! मुझे विदा दीजिये और अगली पोस्ट के लिए प्रतीक्षा करिए ! जल्दी ही आपसे
मुलाक़ात होगी यह मेरा वादा है आपसे ! शुभरात्रि !
साधना वैद
धन्यवाद कविता के कमेन्ट केलिए
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