Friday, August 22, 2025

कान्हा आए - माहिया

 



नंदलाला घर आए 

यमुना धन्य हुई 

पुरवासी हर्षाए !

 

नंदबाबा पुलकित हैं

धूम मची जग में 

जसुदा के मुख स्मित है ! 

 

मैया माखन लाए 

नटखट बाल किशन 

खाने को ललचाए !


कान्हा पर सब खीझें 

मटकी फूट गई

मन ही मन पर रीझें ! 


कान्हा तुम आ जाओ 

यमुना तीर खड़ी 

बंसुरी सुना जाओ  ! 


सखियाँ भी आयेंगी 

झूला झूलेंगी 

नाचेंगी गायेंगी ! 


चित्र - गूगल से साभार 


साधना वैद 

3 comments:

  1. तीन-तीन पंक्तियों में कृष्ण के अनेक मनहर रूप समेट दिये हैं आपकी क़लम ने!

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  2. मधुर मधुर ! भाव प्रवण !

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