Wednesday, October 20, 2010

कोई तो होता

कोई तो होता
जिसे अपने पैरों के छाले
मैं दिखा पाती और
जो महसूस कर पाता कि
कितने दिनों से अंगारों पर
मैं अकेली चली जा रही हूँ,
वो आगे बढ़ कर मुझे सहारा देकर
इन अंगारों से बाहर खींच लेता
और मेरे जलते पैरों पर
प्यार की बर्फ फेर कर
उन्हें शीतल कर देता !

कोई तो होता
जिससे मैं अपने मन की
हर बात कह पाती
और वह अपनी ओर से
कुछ भी जोड़े घटाए बिना
सिर्फ मुझे बोलने देता
और मैं अपना सारा गुबार
उसके सामने बाहर निकाल कर
बिलकुल रिक्त हो जाती !

कोई तो होता
जो मेरे दग्ध ह्रदय की
हर बात बिन बोले ही
समझ लेने का माद्दा रखता,
मेरी हर ख्वाहिश को
पूरा करने की चाहत रखता ,
जिसे मेरी बातें सुनना अच्छा लगता,
जिसे मेरे साथ समय बिता कर
मुस्कुराने का मन होता,
जो मन से मेरे साथ की लालसा
अपने ह्रदय में संजो कर रखता !

कोई तो होता
जो मेरे व्यथित ह्रदय की
वेदना की भाषा को समझता
मेरे मस्तक पर प्यार से हाथ फेर
मुझे आश्वस्त कर देता,
और मेरी आँखों से बहती
अविरल अश्रुधारा को
अपनी उँगलियों से पोंछ
मेरे मन को पीड़ा के भार से
हल्का कर देता !

कितना प्राणान्तक है
यह ख़याल कि
किसी को मेरी चाहत नहीं,
किसीको मेरी ज़रूरत नहीं,
किसीको मेरे होने ना होने से
कोई फर्क नहीं पड़ता,
मैं बस व्यर्थ में जिए जा रही हूँ
बेवजह, बेज़रूरत,
बेआस, बेआवाज़
सिर्फ इसलिए कि
साँसों के विस्तार पर
अपना कोई वश नहीं है !

कोई तो होता
जो सिर्फ एक बार कह देता
ऐसा तो बिलकुल नहीं है
मेरे लिये तुम
बहुत कीमती हो
और मुझे तुम्हारी
बहुत ज़रूरत है !

साधना वैद

9 comments:

  1. बहुत अच्चा लिखा है आपने .....

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  2. कितना प्राणान्तक है
    यह ख़याल कि
    किसी को मेरी चाहत नहीं,
    मनोभाव सुन्दर से मुखरित हुए हैं

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  3. A fine piece of writing .congratulations .
    Asha

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  4. बीना शर्माOctober 21, 2010 at 7:57 AM

    कितना दर्द होता है आपकी रचनाओं में , मुझे समझ नहीं आता कि आपकी रचना के हीरो को दूसरों से इतना कुछ
    ्क्यो चाहिए होता है वह स्वयं मे तृप्त क्यो नही रह पाती |आप इतना मर्मातांक लिखती है कि मै अंदर तक काप उठती हूँ |

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  5. itnee nirbharta.........
    heen bhavna jad hotee hai aise vicharo kee..........
    ise to kattaee palane nahee deejiye..........
    aatm vishwas se bharpoor rachana padne ke liye lalayit........
    vishvas hai aap nirash nahee karengee............

    shubhkamnae.........
    abhivykti acchee hai par vedanamay hai..........

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  6. कोई तो होता
    जो सिर्फ एक बार कह देता
    ऐसा तो बिलकुल नहीं है
    मेरे लिये तुम
    बहुत कीमती हो
    और मुझे तुम्हारी
    बहुत ज़रूरत है !

    दिल की गहराइयों तक पहुंचती रचना...सत्य यही है, बस जिए जाते हैं....बेमतलब,बेजरूरत,...खुद ही अपनी उपयोगिता सिद्ध करने को आतुर..पर कई बार लगता है, बहुत अकेले हैं सब अपनेआप में.

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  7. बेहद मार्मिक चित्रण किया है आपने वेदना का…………शायद यही तो हर दिल की चाह होती है जो शायद अधूरी ही रह्ती है।

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  8. jab apani himaat khatm hone lagati hai aur lagta hai ki hamaare hone ki upyogita khatm ho rahi hai tab aise hi khayaal aate hain ...marmik prastuti

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  9. बहुत मर्माहत कर देने वाली रचना.

    अजी कोई नहीं आने वाला पास...और जो आ भी जाएगा तो कुछ समय बाद छोड़ जाएगा..
    फिर छोड़ने का गम सताएगा तो बेहतर है अपने कागज़ कलम से ही दोस्ती रखिये और अपने कम्पूटर से. यही साथ निभाएंगे...जब तक पावर रहेगी.

    :):)

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