Friday, September 30, 2011

खोटे सिक्के


बापू तुमने तब जिन पर था विश्वास किया

वे तो सब के सब कागज़ के पुरजे निकले ,

था जिनकी बातों पर तुमको अभिमान बड़ा ,

वे तो सब के सब लालच के पुतले निकले !


क्यों आज लुटेरों का भारत में डेरा है ,

क्यों लोगों के मन को शंका ने घेरा है ,

क्यों नहीं किसीको चिंता रूठी जनता की ,

क्यों नहीं किसीको परवा आहत ममता की ,

बापू तुमने था जिनको यह भारत सौंपा ,

वे तो सब के सब बस खोटे सिक्के निकले !


क्यों आतंकी दहशत में जनता सोती है ,

क्यों हर पल मर मर कर यह जनता रोती है ,

क्यों आये दिन वहशत का साया रहता है ,

क्यों आये दिन मातम सा छाया रहता है ,

बापू तुम केवल लाठी लेकर चलते थे ,

लेकिन ये तो संगीनों के आदी निकले !


बापू हम संसद की गरिमा खो बैठे हैं ,

जाने कितने मंत्री जेलों में बैठे हैं ,

जाने कितनों के धन का काला रंग हुआ ,

जाने कितनों का खून पसीना एक हुआ ,

बापू जनता पर तुमने सब कुछ वारा था ,

पर ये सब जनता को दोहने वाले निकले !


बापू क्यों अब तक हमने तुमको बिसराया ,

क्यों नहीं तुम्हारी शिक्षाओं को दोहराया ,

अब जब भारत पर खुदगर्जों का साया है ,

इनको सीधा करने का अवसर आया है ,

बापू तुमने हमको जो राह दिखाई थी ,

उस पर चलने को कोटी-कोटि कदम निकले !


साधना वैद


चित्र गूगल से साभार

11 comments:

  1. आज यदि बापू सच ही भारत की दशा देखें तो सौ सौ आँसू रोयेंगे ...

    बापू भी आखिर में लाचार हो गए थे ... ऐसे हाथों में देश की कमान सौंप दी जिसका खामियाज़ा देश की जनता को उठाना पड़ रहाहै ..

    बहुत अच्छी और सार्थक रचना है ..

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  2. वाह सच कहा .. सिक्के खोटे निकले .. और चलते रहे .. रोकने वालों ने ही चलाये खोटे सिक्के . सुन्दर उदगार बधाई

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  3. बहुत अच्छी रचना आज के सन्दर्भ में |पर क्या कभी यह नहीं लगता सिक्के खोट भी उपयोगी हो सकते हें |
    आशा

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  4. सुन्दर उदगार .

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  5. विसंगतियों को अच्छा उभरा है..

    बापू ने भी क्या-क्या सपने संजोये थे..सब मिथ्या निकले.

    सार्थक रचना

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  6. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (११) के मंच पर प्रस्तुत की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आपका
    ब्लोगर्स मीट वीकली
    के मंच पर स्वागत है /जरुर पधारें /

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  7. बिलकुल सही कहा आपने।

    सादर

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  8. एकदम सच्ची बातें...
    सादर...

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  9. आज बापू पुनः अवतरित होते तो उनका मन जार जार रोता ...बहुत ही भावपूर्ण सार्थक रचना ...

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