आँखों
में बसे सपने
आँखों
में ही पनपते हैं,
जवां
होते हैं,
और
आँखों में ही
साकार
होते हैं,
हकीकत
में तो ये
नींद
खुलते ही
दम
तोड़ देते हैं
सच
ही तो है !
मन
में छिपी बात
बाहर
आने से पहले
कितनी
शिद्दत से
कितनी
उत्कण्ठा से
मन
में करवटें
लेती
रहती है
लेकिन
जब कहने का
अवसर
आता है
ना
जाने किस भय से
होंठों
की लकीरों में ही
कहीं
गुम हो जाती है
और
अनकही बातें
किसी
अंजाम तक
नहीं
पहुँच पातीं
सच
ही तो है !
प्रीत
के रंग में रंगे
कुछ
बेहद मधुर गीत
जो
सदा कंठ से
प्रस्फुटित
होने को
आकुल
व्याकुल रहे
अनगाये
ही रह गये
और
अनसुने गीतों
का
प्रभाव भला
किसी
के मन पर
कब,
क्यों
और
कैसे पड़ेगा
सच
ही तो है !
हर तरफ से हार
मन
की हर वेदना
हर
व्यथा को
हर
आस
हर
उम्मीद को
खतों
का सहारा ले
जब
पहुँचाना चाहा
वो
खत दुर्भाग्यवश
अनपढ़े
ही रह गये
जो
फ़रियाद
सुनी
ही ना गयी
उसका
इन्साफ भला
कोई
कैसे करे
सच
ही तो है !
बस
अब तो यही
तय
होना बाकी है
फैसला
करने का हक
किसे
मिलना चाहिये
फरियादी
को
या
फिर उसे जिसने
हर
सपने को तोड़ा
हर
आँसू को
अनदेखा
किया
हर
फ़रियाद को
अनसुना
किया
और
इसे नियति
का
नाम दे अपने
मन
के बोझ को
हल्का
कर लिया !
साधना
वैद
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ,,,,,साधना जी
ReplyDeleteRECENT POST:..........सागर
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 08 - 11 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज की नयी पुरानी हलचल में ....
सच ही तो है .... खूँटे से बंधी आज़ादी ..... नयी - पुरानी हलचल .... .
बेहतरीन अभिव्यक्ति ..
ReplyDeleteसपनों के शब्द नहीं होते , सनसनी हवाओं की मानिंद आँखों में , मन की आँखों में लहराते रहते हैं और अपनी जमीन को उससे भरने की कोशिश करते हैं ... एक कतरा भी होठों से फिसला तो आँधियों के मध्य उन सपनों को संभालना मुश्किल होता है . सपनों को पनपने देना चाहिए - उनकी ऊँगली थामे धीरे धीरे ....
ReplyDeleteसपने तोड़ने के लिए शुभचिंतकों की ही फ़ौज होती है ...
faisla fariyadi ka kaise hoga jab uski koi fariyad hothon ki lakeeron se baahar aane hi na payi...aur dosh bhi uska kya jis par har aansu ka iljaam lagaya ja raha hai ?
ReplyDeletekyu.....sach hi hai na ?
बहुत बहुत अच्छी रचना साधना जी...
ReplyDeleteसादर
अनु
बहुत ही सुन्दर सार्थक रचना
ReplyDeleteकितने बदनसीब होते हैं वो बंद सपनों भरे खत...जिन्हें अपने आँसू खुद ही सोखने पड़ते हैं...
ReplyDelete~समझ नहीं आ रहा, क्या कहूँ..- दिल भर आया...और सच कहूँ...? आँखें भी...
~सादर !
और इसे नियति
ReplyDeleteका नाम दे अपने
मन के बोझ को
हल्का कर लिया !
भावमय करते शब्द ...
ख्वाब ,
ReplyDeleteतभी तक ख्वाब
जब तक साकार न हों
बात,
तभी तक गहन
तब तक अनकही हो
खत ,
तभी तक छुपाएं राज़
जब तक अनपढ़े हों
फैसला ,
हक नहीं किसी को भी
कोई निर्णय लिया जाये
द्वंद्व में ही
गुज़र जाये ज़िंदगी
बेहतर है :):)
बहुत भावपूर्ण रचना
सपनो का क्या है उनका तो काम ही है आते रहना.
ReplyDeleteबेहतरीन साधना जी !!
बेहद खूबसूरत भाव लिए कविता |बहुत अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
कोमल भाव से सजी बेहतरीन अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबेहतरीन...
आप सभीके सद्भावनापूर्ण उद्गारों के लिये आभारी हूँ ! प्रोत्साहित करने के लिये हृदय से धन्यवाद !
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