Sunday, December 30, 2012

कुछ तो करना होगा


‘दामिनी’ अंतिम बार कौंध कर सदा के लिए बादलों के पीछे छिप गयी ! लेकिन उसकी यह कौंध सदियों से गहन अन्धकार में डूबी अपनी शक्ति एवं क्षमताओं से बेखबर नारी जाति को पल भर में ही जगा कर चार्ज कर गयी ! उस मासूम बच्ची का यह समाज सदा ऋणी रहेगा जिसने अपना बलिदान देकर स्त्री जाति के सोये आत्मसम्मान को झकझोर कर जगा दिया है !  
दामिनी के साथ क्या हुआ, क्यों हुआ उसे दोहराना नहीं चाहती ! दोहराने से कोई फ़ायदा भी नहीं है ! हमारा सारा ध्यान इस बात पर केन्द्रित होना चाहिए कि जो हैवान उसके गुनहगार हैं उनके साथ क्या हो रहा है और क्या होना चाहिए ! देश की धीमी न्याय प्रक्रिया पर हमें भरोसा नहीं है ! यहाँ कोर्ट में मुकदमे सालों तक चलते हैं और ऐसे खतरनाक अपराधी जमानत पर छूट कर फिर उसी तरह के जघन्य अपराधों में लिप्त होकर समाज के लिए खतरा बन कर बेख़ौफ़ घूमते रहते हैं !
भागलपुर वाले केस को आप लोग अभी तक भूले नहीं होंगे जिसमें बारह साल पहले एक ऐसी ही साहसी और बहादुर लड़की पर गुंडों ने प्रतिरोध करने पर एसिड डाल कर उसका चेहरा जला दिया था ! वह लड़की अभी तक न्याय के लिए प्रतीक्षा कर रही है और उसके गुनहगार सालों जमानत पर छूट कर ऐशो आराम की ज़िंदगी बसर करते रहे साथ ही अपने गुनाहों के सबूत मिटाते रहे !
मेरे विचार से ऐसे गुनहगारों को कोर्ट कचहरी के टेढ़े-मेढ़े रास्तों, वकीलों और जजों की लम्बी-लम्बी बहसों और हर रोज़ आगे बढ़ती मुकदमों की तारीखों की भूलभुलैया से निकाल कर सीधे समाज के हवाले कर देना चाहिए ! सर्व सम्मति से समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र से प्रबुद्ध व्यक्तियों की समिति बनानी चाहिए जिनमें प्राध्यापक, वकील, जज, कलाकार, गृहणियाँ, डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, व्यापारी, साहित्यकार व अन्य सभी विधाओं से जुड़े लोग शामिल हों और सबकी राय से उचित फैसला किया जाना चाहिए और गुनहगारों को दंड भी सरे आम दिया जाना चाहिए ताकि बाकी सभी के लिए ऐसा फैसला सबक बन सके !
ऐसे अपराधियों के माता-पिता से पूछना चाहिए कि वे अपने ऐसे कुसंस्कारी और हैवान बेटों के लिए खुद क्या सज़ा तजवीज करते हैं ! अगर वे अपने बच्चों के लिए रहम की अपील करते हैं तो उनसे पूछना चाहिए की यदि उनकी अपनी बेटी के साथ ऐसी दुर्घटना हो जाती तो क्या वे उसके गुनहगारों के लिए भी रहम की अपील ही करते ? इतनी खराब परवरिश और इतने खराब संस्कार अपने बच्चों को देने के लिए स्वयम उन्हें क्या सज़ा दी जानी चाहिए ? दामिनी के गुनहगार उन दरिंदों पर कोल्ड ब्लडेड मर्डर का आरोप लगाया जाना चाहिए और उन्हें तुरंत कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिये !
लेकिन यह भी सच है कि हमारे आपके चाहने से क्या होगा ! होगा वही जो इस देश की धीमी गति से चलने वाली व्यवस्था में विधि सम्मत होगा ! मगर इतना तो हम कर ही सकते हैं कि इतने घटिया लोगों का पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाए ! जिन लोगों के ऊपर बलात्कार के आरोप सिद्ध हो चुके हैं उनकी तस्वीरें, नाम, पता व सभी डिटेल हर रोज़ टी वी पर और अखबारों में दिखाए जाने चाहिए ताकि ऐसे लोगों से जनता सावधान रह सके ! समाज के आम लोगों के साथ घुलमिल कर रहने का इन्हें मौक़ा नहीं दिया जाना चाहिए ! यदि किरायेदार हैं तो इन्हें तुरंत घर से निकाल बाहर करना चाहिए और यदि मकान मालिक हैं तो ऐसा क़ानून बनाया जाना चाहिए कि इन्हें इनकी जायदाद से बेदखल किया जा सके ! जब तक कड़े और ठोस कदम नहीं उठाये जायेंगे ये मुख्य धारा में सबके बीच छिपे रहेंगे और मौक़ा पाते ही अपने घिनौने इरादों को अंजाम देते रहेंगे ! जब दंड कठोर होगा और परिवार के अन्य सदस्य भी इसकी चपेट में आयेंगे तो घर के लोग भी अपने बच्चों के चालचलन पर निगरानी रखेंगे और लगाम खींच कर रखेंगे ! यदि इन बातों पर ध्यान दिया जाएगा तो आशा कर सकते हैं कि ऐसी घटनाओं की आवृति में निश्चित रूप से कमी आ जाएगी ! 
दामिनी का बलिदान निरर्थक नहीं जाना चाहिए ! उस मासूम बच्ची के लिए दिल बहुत दुखी है ! कुछ तो ऐसा ज़रूर होना चाहिए कि उसकी आत्मा को शान्ति मिले और समाज की सभी महिलाओं को सुरक्षा का सच्चा आश्वासन मिले !

साधना वैद     

14 comments:

  1. हमारे चाहने से ही अब सब हो,ऐसा प्रण लेना है
    ....
    देश हमारा,संविधान हमारा
    हम क्यूँ हुए शिक्षित ?
    अशिक्षितों की तरह मर जाने के लिए
    घुट घुट केर आंसू बहाने के लिए
    .......
    लानत है उस माँ पर जिसने ऐसे बेटे को खुद सज़ा नहीं दी
    लानत है उस बहन पर - जो इए कुकर्मी भाई के हाथ में राखी बांधेगी
    लानत है उन स्त्रियों पर - जो कापुरुषों के लिए मांग भरती हैं
    और फ़ालतू के व्रत त्यौहार करने का ढोंग रचाती हैं !
    ............

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  2. बिलकुल सही कहा है आपने . सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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  3. जब देश के चुने हुए नेता और बिना चुने जबरन सर्वोच्च पदों पर बैठे बड़े नेताओं को ही नहीं मालुम 'क्या कुछ शीघ्र किया जा सकता है'

    जब देश के जाने-माने हुए बुद्धिजीवियों में एक अपराध के लिए दंड निर्धारित करने को लेकर मत-वैभिन्य है,

    जब गुरुजनों, वरिष्ठ साथियों और चिंतकों के सामने 'कुछ तो करना होगा' जैसा असमंजस अभी तक बरकरार है।

    .......... तब तक सामान्य सोच वाले कभी इस पाले तो कभी उस पाले भीड़ लगाते ही मिलेंगे।


    दुःख सदमे के स्तर तक जा पहुँचा है .... इस कारण ही यह स्थिति बनी है ... इसलिए इस घटना के बाद हर उस बात पर ध्यान देना होगा जो ऎसी बातों की भूमि तैयार करते हैं।

    - मीडिया द्वारा दिखाए जाने वाले ऐसे विज्ञापन जिसमें 'स्त्री' को उपभोग की वस्तु बनाकर प्रस्तुत किया जाता है।

    - फूहड़ और द्वीअर्थी भाषा वाले संवाद .. कोमेडी के नाम पर परोसी जाने वाली गंदगी, फिल्म स्टारों के बीप वाले घटिया लाइव शो में यह सब भरपूर मात्रा में होता है।

    - ऎसी फिल्म्स पर सेंसर बोर्ड रोकथाम लगाए जो यौन हिंसा पर बनी होती हैं।


    साधना जी, ऐसे विषयों पर मन इतना अधिक घिना गया है कि मैं न चर्चा कर पाता हूँ और न ही ठीक ढंग से अपनी बात कह पाता हूँ, फिर भी कुछ दिनों से कोशिश कर रहा हूँ।

    जहाँ भी बात छोटी करना चाहता हूँ बड़ी हो जाती है।

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  4. बहुत सही कहा है आपने --दामिनी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए

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  5. सार्थक और सटीक प्रस्तुति |
    आशा

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (31-112-2012) के चर्चा मंच-1110 (साल की अन्तिम चर्चा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,

    चिरनिद्रा में सोकर खुद,आज बन गई कहानी,
    जाते-जाते जगा गई,बेकार नही जायगी कुर्बानी,,,,

    recent post : नववर्ष की बधाई

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  8. सहमत हूँ आपकी बात से ... बिल्‍कुल सही कहा आपने ...
    सादर

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  9. समाज का चलन उल्टा है
    सच से इसे बैर है।
    आप सच कहेंगे तो ज़माना आपका दुश्मन हो जाएगा
    जड़ों को पानी देकर यह शाख़ें कतरता है
    http://mushayera.blogspot.in/2012/12/modern-girl.html

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  10. ऐसी धारणा बन गई है एक सफल बलात्कार और सामूहिक नरसंहार करने के बाद भी सज़ा से बचा जा सकता है अगर यह काम योजनाबद्ध ढंग से किया गया हो। किसी विशेष समुदाय के खि़लाफ़ पहले नफ़रत फैलाई गई हो और फिर ज़ुल्म किया गया हो। इसके बाद वे अपने वर्ग के हीरो बन जाते हैं और सरकारें बनाते हैं। देश के बहुत से दंगों के मुल्ज़िम इस बात का सुबूत हैं। वर्ना एक लड़की से रेप के बाद भी मुजरिम जेल पहुंच जाते हैं अगर उन्होंने अपराध स्वतः स्फूर्त ढंग से किया हो और उन्हें कोई राजनैतिक शरण न मिले जैसा कि दामिनी के केस में देखा जा रहा है।
    दामिनी पर ज़ुल्म करने वालों के खि़लाफ़ देश और दिल्ली के लोग एकजुट हो गए जबकि सन 1984 के दंगों में ज़िंदा जला दिए गए सिखों के लिए यही लोग कभी एकजुट न हुए। इसी तरह दूसरी और भी बहुत सी घटनाएं हैं। यह इस समाज का दोग़लापन है। इसी वजह से इसका कभी भला नहीं हो सकता।

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  11. क्या हो गया उसे बार बार न दोहराकर ...क्या होना चाहिए इसपर प्रकाश डालती एक सकारात्मक सोच ....

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  12. सटीक सधे विचार ....पूर्ण सहमति है आपसे

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