Tuesday, January 8, 2013

दीप जल गये


नव वर्ष के स्वागत के लिए एक रचना लिखी थी ! लेकिन दामिनी की कहानी ने इतना व्यथित कर दिया कि इसे पोस्ट करने का मन ही नहीं हुआ ! लेकिन 'जीवन चलने का नाम' मन्त्र का पालन करते हुए आगे तो बढ़ना ही होगा ! इसलिये आज यह रचना आप सभी के लिए नव नर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है !

रात नयी, बात नयी
प्यार की सौगात नयी
दर्द थम गये ! 

साज़ नये, राग नये
गीत के अंदाज़ नये
स्वर मुखर हुए !

रीत नयी, प्रीत नयी 
ज़िंदगी पे जीत नयी
हमसफ़र मिले !

हर्ष नया, वर्ष नया
सोच को विमर्श नया
बंद खुल गये !
 
हास नया, रास नया
प्रकृति का उल्लास नया
रंग बिखर गये !

फूल नये, शूल नये
लाज के दुकूल नये
नैन झुक गये !

चाह नयी, थाह नयी  
रोशनी की राह नयी
दीप जल गये !

साधना वैद

14 comments:

  1. फूल नये, शूल नये
    लाज के दुकूल नये
    नैन झुक गये !

    बहुत सुंदर रचना .... नए वर्ष में कुछ नया सोचा जाए ... नए विचार जन्म लें ...

    नव वर्ष की शुभकामनायें

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  2. फूल नये, शूल नये
    लाज के दुकूल नये
    नैन झुक गये !
    सुंदर रचना !!
    नव वर्ष की मंगलकामनायें !!

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  3. सुंदर रचना ...

    नव नर्ष की हार्दिक शुभकामना

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  4. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना
    "रात नई बात नई ,प्यार की सौगात नई दर्द थम गए " बहत सुन्दर भाव |
    आशा

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  5. बात अपने बिलकुल सच कही है , जिन्दगी की रफ्तार जैसे नहीं रुकती है वैसे ही दिन और रात भी नहीं रुकते हैं . हाँ एक कसक जो दामिनी के जाने से उठी है उसे फिर भी हम जिन्दा रखेंगे

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  6. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 12/01/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  7. बहुत सुंदर रचना !:)
    'आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!'
    ~सादर!!!

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  8. मेरी नवा वर्ष की रचना की चार लाइन ,पूरा मेरे ब्लॉग पर है: -
    'नई निशा, नई उषा

    नया सूरज और नई किरण

    आशा, विश्वास और उत्साह से

    भर दे सबका मन।'


    New post : दो शहीद

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  9. नव वर्ष का सुन्दर स्वागत

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  10. रह गया बाकी बहुत कुछ
    साथ मिलकर पूर्ण कर लें
    नभ को झुका दें हम धरा पर
    धरती को नभ के तुल्य कर लें
    छेड़े चलो वो रागिनी
    हर दिल खुशी से झूम जाए
    रात बीती बात बीती
    नई सुबह के गीत गाएं.....

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  11. रह गया बाकी बहुत कुछ
    साथ मिलकर पूर्ण कर लें
    नभ को झुका दें हम धरा पर
    धरती को नभ के तुल्य कर लें
    छेड़े चलो वो रागिनी
    हर दिल खुशी से झूम जाए
    रात बीती बात बीती
    नई सुबह के गीत गाएं.....

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  12. फूल नये, शूल नये
    लाज के दुकूल नये
    नैन झुक गये !...बहुत सुन्दर

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  13. फूल नए, शूल नए
    लाज के दुकूल नए,
    नैन झुक गए.

    सुंदर रचना.

    लोहड़ी, मकर संक्रांति और माघ बिहू की शुभकामनायें.

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