कुछ दिन पूर्व जब अमेरिका के सुप्रसिद्ध नाटककार यूजीन ओ नील के कैलीफोर्निया स्थित घर की सैर आपको करवाने के लिये मैं आपको उनके घर डो हाउस ले गयी थी मैंने आपसे वायदा किया था कि आपको अमेरिका के एक और प्रसिद्ध लेखक के घर की सैर करवाउँगी ! तो चलिए आज आपको लेकर चलते हैं यायावरी प्रवृत्तियों के धनी सुप्रसिद्ध साहित्यकार जैक लंडन के घर ! एक बहुत ही विशाल एवँ खूबसूरत रैंच पर बना हुआ यह घर भी कैलीफोर्निया में ही स्थित है जिसे पहले लोग जैक लंडन की ‘ब्यूटी रैंच’ के नाम से जानते थे ! वर्तमान में यह स्थान जैक लंडन्स स्टेट हिस्टोरिक पार्क के नाम से प्रसिद्ध है !
सन्
१९०५ में कैलीफोर्निया स्टेट की सोनोमा काउण्टी में स्थित ग्लेन एलेन में जैक लंडन
ने सोनोमा माउंटेंस की ढलान पर १००० एकड़ का विशाल भू खण्ड खरीदा और उसका नाम ‘ब्यूटी
रैंच’ रखा ! समय-समय पर वे और ज़मीन खरीद कर इसमें जोड़ते गये ! वर्तमान में १४००
एकड़ की इस विशाल रैंच पर पर्यटकों के देखने के लिये जैक लंडन की कॉटेज, हैप्पी
वॉल्स म्यूज़ियम, वुल्फ हाउस रुइंस, उनकी समाधि तथा ब्यूटी रैंच की लगभग २०
किलोमीटर्स की ट्रेल्स शामिल हैं ! प्राकृतिक सौंदर्य और मनुष्य की करिश्माई
कल्पनाशीलता की यह रैंच अद्भुत मिसाल है !
पार्क
में प्रवेश करने के बाद दाहिनी ओर जैक लंडन की कॉटेज स्थित है ! यह वह आशियाना है
जिसमें जैक लंडन ने अपनी पत्नी शार्मियाँ के साथ बहुत खूबसूरत वक्त गुजारा था !
जैक लंडन की प्रसिद्धि उस समय चरम पर थी ! अपने कई कालजयी उपन्यास और कहानियाँ
उन्होंने इसी घर में लिखे ! घर के सामने बरामदे में एक पलंग, एक टेबिल, टेबिल पर एक
छोटा सा टेबिल फैन, चाय के प्याले और दो कुर्सियां रखी हुई हैं ! जैक लंदन का अधिक
समय यहीं बीतता था ! चाय कॉफी की चुस्कियाँ लेते हुए इसी मेज़, इन्हीं कुर्सियों पर
बैठ उन्होंने कितना कुछ लिखा होगा यह कल्पना ही मन को तरंगित कर रही थी !
स्टडी
रूम में बड़ी बड़ी अलमारियों में उनके उपन्यासों की कई पांडुलिपियाँ सुरक्षित रखी
रहती थीं ! सन् १९०६ में कैलीफोर्निया में भीषण भूकंप आया था जिसके कारण जैक लंडन
के घर को भी बहुत नुक्सान पहुँचा था लेकिन उनका लिखा काफी कुछ सुरक्षित इसीलिये बच
गया था क्योंकि वह उनकी स्टडी की मज़बूत अलमारियों में बंद था ! स्टडी की मेज़ पर एक
ग्लोब और एक पुराना टाइप राइटर आज भी रखा हुआ है जिस पर वे कभी अपने ख्यालों को
कागजों पर उतारते होंगे ! जैक लंडन के बारे में कहा जाता है कि जब तक वे सुबह उठ
कर एक हज़ार शब्द नहीं लिख लेते थे अपनी पत्नी तक से मुलाकात नहीं करते थे ! लेखन
के प्रति शायद यही समर्पण था कि मात्र चालीस वर्ष की आयु में उन्होंने बाईस
उपन्यास, इक्कीस कहानी संकलन, दो आत्मकथात्मक पुस्तकें व अनेकों निबन्ध एवँ कविता
संग्रहों की रचना कर डाली !
जैक लंडन के घर में उनका सादगी से सजा हुआ कमरा, शीशे
की अलमारियों में सजे शार्मियाँ और उनके कपड़े, हैट व अन्य सामान मुझे पिछली सदी के
पहले दशक के उस काल खण्ड में खींच कर लिये जा रहे थे जब वो दोनों अपने इस सुंदर
संसार में सुखपूर्वक साथ-साथ जीवन बिता रहे होंगे और इतिहास का एक बहुत ही खूबसूरत
अध्याय आकार ले रहा होगा ! घर से ही सटा हुआ बहुत बड़े साइज़ का किचिन था जिसमें अभी
भी वे सारी वस्तुएँ करीने से लगी हुई थीं जिनका उपयोग उस वक्त शार्मियाँ की रसोई
में हुआ करता था ! घर के सामने एक छोटा सा गोल जलाशय है जिसमें बहुत सुंदर रंगीन
मछलियाँ पली हुई हैं ! इसी घर के बरामदे में जैक लंडन ने अंतिम साँस ली थीं !
कॉटेज
के बाद हमने हैप्पी वॉल्स म्यूज़ियम में प्रवेश किया ! जैक लंडन के द्वारा लिखी गयी
अनेकों अनमोल पुस्तकों के आरंभिक संस्करणों के अलावा इसमें उनकी पत्नी शार्मियाँ
का सन् १९०१ का विशाल पियानो भी रखा हुआ है ! वीकेंड्स पर सिद्धहस्त कलाकारों
द्वारा उस पियानो पर बीते दिनों के जादुई संगीत से आगंतुकों को मंत्रमुग्ध करते
हुए भी देखा जा सकता है ! जैक लंडन घुमक्कड़ प्रवृति के इंसान थे ! उनके पास उनकी
अपनी एक छोटी सी शिप थी जिसका नाम ‘स्नार्क’ था ! अपनी इस शिप से उन्होंने कई
साहसिक समुद्री यात्राएं कीं और अपनी अनुभव सम्पदा को कई गुना समृद्ध किया ! कहते हैं जैक लंडन साल में छ: महीने समुद्र में और छ: महीने ज़मीन पर रहते थे ! इनमें से कई यात्राओं में शार्मियाँ भी उनके साथ होती थीं ! जैक
लंडन के उपन्यास और कहानियों में इन यात्राओं के अनुभूत विवरण बहुतायत में मिलते
हैं ! हैप्पी वाल्स म्यूजियम में ‘स्नार्क’ की तस्वीरों और मॉडल के साथ-साथ उनके
संस्मरणों का लेखा जोखा भी जगह-जगह पर उपलब्ध है ! इसी म्यूजियम में कुछ रिहाइशी एरिया भी है
! जैक लंडन की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी शार्मियाँ अपनी कॉटेज को छोड़ कर यहीं रहने
लगी थीं लेकिन बाद में पैर में फ्रैक्चर हो जाने के कारण जब ऊपर नीचे चढ़ने उतरने
में उन्हें कष्ट होने लगा तो वे पुन: कॉटेज में लौट गयीं ! इसी म्यूज़ियम में जैक
लंडन की पुस्तकों के शो केस में उनकी सुप्रसिद्ध किताब ‘द कॉल ऑफ द वाइल्ड’ का
हिन्दी रूपान्तरण ‘जंगल की पुकार’ देख कर अत्यंत प्रसन्नता हुई और हृदय गर्व से भर
उठा !
म्यूज़ियम
से कुछ दूरी पर वुल्फ हाउस के अवशेष स्थित हैं ! यह जैक लंडन का ड्रीम प्रोजेक्ट
था ! ब्यूटी रैंच पर अपनी कॉटेज के अलावा उन्होंने अपने लिये एक बहुत ही कीमती और
आलीशान पत्थर का तीन मंजिला भवन बनवाया था जिसमें कई कमरे थे, स्वीमिंग पूल भी था
और इसके अलावा रैंच के सबसे मनोहारी दृश्य वहाँ से दिखाई देते थे ! यह भवन बन कर
तैयार हो चुका था और जैक अपनी पत्नी के साथ एक हफ्ते के अंतराल के बाद उसमें रहने
के लिये शिफ्ट होने वाले थे ! लेकिन दुर्भाग्यवश तभी इस घर में आग लग गयी और अपने
इस ड्रीम हाउस में रहने का जैक लंडन का सपना एक सपना बन कर ही रह गया ! इसी वुल्फ
हाउस के तीन मंजिला अवशेष अभी भी अपनी दुःख भरी गाथा कहते से ब्यूटी रैंच पर खड़े
हुए हैं और सैलानियों के लिये आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं !
सबसे
अंत में रैंच के एक छोर पर कुछ ऊँचाई पर हरी घास और काई से ढकी बिलकुल सादा सी दो
कब्रें बनी हुई हैं जहाँ यह महान साहित्यकार अपनी प्रिय पत्नी शार्मियाँ के साथ
चिर निंद्रा में लीन है ! इसी स्थान पर दो छोटे-छोटे बच्चों की भी कब्रें हैं जो
जैक से पहले इस जगह के मालिकों के बच्चों की हैं ! रैंच का यह हिस्सा जब जैक ने
खरीदा था तो उन्हें भी बच्चों की इन कब्रों के बारे में पता नहीं था ! एक दिन
टहलते-टहलते वह यहाँ आ निकले तो उन्होंने इन कब्रों को देखा ! १९१६ में जब जैक की
तबीयत बहुत खराब हो गयी और उन्हें अपना अंत निकट जान पड़ा तो उन्होंने इसी जगह पर स्वयं
को दफनाए जाने की अपनी इच्छा प्रकट और शार्मियाँ ने उनकी इस इच्छा का सम्मान किया
! जैक ने यह भी कहा था कि उनकी कब्र पर कोई स्मारक ना बनाया जाये ! १९५५ में जब शार्मियाँ
की मृत्यु हुई तो उन्होंने भी अपने चिर विश्राम के लिये इसी जगह को चुना ! जीवन
काल में जैक और शार्मियाँ ने समुद्र और धरती पर अनेकों यात्राएं साथ-साथ की थीं !
मरणोपरांत भी वे दोनों अपनी उस ब्यूटी रैंच पर साथ-साथ चिर निंद्रा में लीन हैं !
तो
यह थी जैक लंडन की ब्यूटी रैंच की सैर ! आशा है आपको भी मेरे साथ यहाँ घूम कर आनंद
आया होगा ! यदि आया है तो अपनी प्रतिक्रिया द्वारा मुझे बताइयेगा ज़रूर ! आगे भी तो आपको
और कई स्थानों की सैर करवानी है मुझे !
साधना
वैद
No comments:
Post a Comment