Sudhinama
Friday, December 6, 2013
जीवन बदरंग
खाली बर्तन
चुक गया ईंधन
भूखा है तन !
कैसा जीवन
पिसता बचपन
रीता है मन !
नहीं उमंग
जीवन बदरंग
दुर्दशा संग !
साधना वैद
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