चाहे जितना आजमा लो तुम हमें
हर कसौटी पर खरे उतरेंगे हम !
चाहे जितनी आँधियाँ चलने लगें
दीप की लौ को प्रखर रखेंगे हम !
चाहे जितने जाल फैला ले जहाँ
दूर सूरज चाँद तक पहुँचेंगे हम !
हारना सीखा नहीं हमने कभी
जीत को मुट्ठी में बंद कर लेंगे हम !
मुँह छिपा कर बैठना फितरत नहीं
तान कर सीना चला करते हैं हम !
दुश्मनों की बद्दुआ का डर नहीं
दोस्तों के प्यार को तकते हैं हम !
बाजुओं में आसमाँ दिल में ज़मीं
हौसले फौलाद से रखते हैं हम !
लाख बाधा सामने कर दो खड़ी
हर चुनौती पर खरे उतरेंगे हम !
साधना वैद
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