Saturday, June 14, 2014

मेरे बाबूजी

पितृ  दिवस पर विशेष
 
 

बाबूजी मेरे
घने बरगद का
साया हों जैसे !

मन्त्र आपका
श्रम और तप का
जीत दे गया !

झूला तो झूले
आपकी बाहों जैसा
झूला है कहाँ !

हर चिंता का 
समाधान होते थे
मेरे बाबूजी !
  
अनुशासन
संयम औ नियम  
सीखे आपसे !
  
पकड़ कर
बाबूजी की उँगली
नापा जहान !

जब उछाला
हवा में बाबूजी ने
छुआ गगन !

सद्विचार और
सही जीवन मूल्य
दिये आपने !

ऋण आपका
उतार न पायेंगे
जीवन भर !

  आज भी आप  
आदर्श हैं हमारे
सदा रहेंगे !





साधना वैद

1 comment:

  1. हाइकु बहुत गूढ़ विचार लिए |

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