ओ मनमीत
हृदय धर प्रीत
सुनाऊँ गीत !
प्राण अधारे
बाट तकत थके
नैन हमारे !
जीवन धारा
बहती कल-कल
दूर किनारा !
खेवनहार
डूबी जाती है नैया ‘
लगा दो पार !
पालनहार
व्याकुल अंतर की
सुनो पुकार !
सीता के राम
राधा मीरा के श्याम
हमारा कौन ...?
भावों के फूल
पिरो आँसू की डोर
अर्पित तुम्हें !
कृष्णमुरारी
हर लो ना आकर
पीर हमारी !
पिरोती रही
वन्दना की माला में
भक्ति के फूल !
चढ़ाती रही
तुम्हारे चरणों में
श्रद्धा के हार !
साधना वैद
No comments:
Post a Comment