Saturday, June 6, 2015

विश्वास




विश्वास 

भावनायें सो गयी हैं
शब्द सब बद होश हैं !
ताल, लय, धुन खो गये हैं
गीत सब खामोश हैं !
देह होती जा रही निश्चल मगर
प्राण आकुल प्रीत में मदहोश हैं !
‘आओगे तुम’ आस आँखों में लिये
प्रिय दरस को दो नयन बा-होश हैं !


साधना वैद 


चित्र  - गूगल से साभार

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