विश्वास
भावनायें
सो गयी हैं
शब्द सब
बद होश हैं !
ताल,
लय, धुन खो गये हैं
गीत सब
खामोश हैं !
देह
होती जा रही निश्चल मगर
प्राण
आकुल प्रीत में मदहोश हैं !
‘आओगे
तुम’ आस आँखों में लिये
प्रिय
दरस को दो नयन बा-होश हैं !
साधना
वैद
चित्र - गूगल से साभार
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