गोरक्षा भारत में
सदियों से एक संवेदनशील विषय रहा है ! देश के अलग-अलग राज्यों में इस मसले पर
विभिन्न क़ानून हैं ! गाय, बैल व भैंस को अलग-अलग श्रेणियों में रखा गया है ! इनके
सन्दर्भ में कहाँ क्या क़ानून हैं ज़रा प्रान्तों के अनुसार इसकी जानकारी भी लेते
चलें !
जम्मू काश्मीर – गाय,
बैल व भैंस तीनो के वध पर प्रतिबन्ध है
हिमांचल प्रदेश –
तीनों पर प्रतिबन्ध
पंजाब – तीनों पर
प्रतिबन्ध
हरियाणा – तीनों पर
प्रतिबन्ध
राजस्थान – तीनों पर
प्रतिबन्ध
उत्तर प्रदेश –
सिर्फ गाय पर प्रतिबन्ध
बिहार – सिर्फ गाय
पर प्रतिबन्ध
झारखंड – सिर्फ गाय
पर प्रतिबन्ध
उत्तराखंड – तीनों
पर प्रतिबन्ध
गुजरात – सिर्फ गाय
और बैलों पर प्रतिबन्ध
मध्य प्रदेश – सिर्फ
गाय और भैंसों पर प्रतिबन्ध
छत्तीसगढ़ – तीनों
पर प्रतिबन्ध
उड़ीसा – सिर्फ गाय
पर प्रतिबन्ध
महाराष्ट्र – सिर्फ
गाय पर प्रतिबन्ध
कर्नाटक – सिर्फ गाय
पर प्रतिबन्ध
गोआ – सिर्फ गाय पर
प्रतिबन्ध
तेलंगाना – सिर्फ
गाय पर प्रतिबन्ध
आंध्र प्रदेश –
सिर्फ गाय पर प्रतिबन्ध
तामिलनाडू – सिर्फ
गाय पर प्रतिबन्ध
केरल – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
बंगाल – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
आसाम – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
सिक्किम – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
मेघालय – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
अरुणांचल प्रदेश –
कोई प्रतिबन्ध नहीं
नागालैंड – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
मिजोरम – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
त्रिपुरा – कोई
प्रतिबन्ध नहीं
मणीपुर – सिर्फ गाय
पर प्रतिबन्ध
गो वध निषेध का
क़ानून सबसे पुराना जम्मू काश्मीर का है जो सन १९३२ से लागू है ! तामिलनाडू में दस
वर्ष और बिहार में पन्द्रह वर्ष से अधिक आयु के बैलों के वध पर कोई प्रतिबन्ध नहीं
है ! देश के विभिन्न प्रान्तों में विभिन्न कानूनों की वजह से बीफ को परिभाषित
करने में संशय (कन्फ्यूज़न) बना रहता है ! तीनों पशुओं के मांस को बीफ ही कहा जाता
है ! क्या आप जानना चाहेंगे कि विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक देश कौन है ? उत्तर
है हमारा देश भारत ! यहाँ यह बात भी नोट करने योग्य है कि दुनिया में सबसे अधिक
पशुधन भी भारत में ही है ! और दुनिया के सबसे अधिक शाकाहारी लोग भी भारत में ही
बसते हैं ! पशुपालन भी एक उद्योग ही है और औद्योगिक अर्थशास्त्र के अपने ही नियम और
लक्ष्य होते हैं !
यदि हम अपने पड़ोसी
देशों की तरफ देखें तो नेपाल में गोवध पर प्रतिबन्ध है, श्रीलंका और म्यांमार,
जहाँ का प्रमुख धर्म बौद्ध धर्म है, वहाँ अहिंसा की वजह से गोवध गैर कानूनी है ! इंडोनेशिया,
जो एक मुस्लिम आबादी वाला देश है, वहाँ भी बीफ खाना एक टैबू है क्योंकि वे लोग
अपने पूर्वजों को हिन्दू मानते हैं और उनका सम्मान करते हैं ! पाकिस्तान और बांग्लादेश
में बीफ गरीबों का प्रमुख भोजन है इसलिए भारत से अधिकाँश गायें तस्करों के द्वारा
इन्हीं देशों में भेजी जाती हैं !
हकीकत यह है कि सारे
प्रतिबंधों के बावजूद अर्थशास्त्र सब पर भारी पड़ता है और इसी कारण से आज पशुपालक
भैंस पालना गाय पालने से अधिक लाभकारी पाते हैं ! गाँवों में ट्रैक्टरों का प्रचलन
बढ़ता ही जा रहा है और खेतों में बैलों की आवश्यकता निरंतर घट रही है ! सामान ढोने
के लिये बैलगाड़ी का स्थान विभिन्न तरह के डीज़ल से चलने वाले वाहनों ने ले लिया है
! ऐसी स्थिति में गोवंश को बचाने के लिये क्या किया जा सकता है ! देश में अनेक
गोशालाएं चल रही हैं जहाँ ट्रकों और रेलगाड़ियों के द्वारा कटने के लिये अवैध रूप
से ले जाई जा रही गायों व भैसों को छुड़ा कर रखा जाता है ! लोग यदि चाहें तो अपने
पशुओं को वहाँ पर आकर दान भी कर सकते हैं ! ऐसी अधिकाँश गोशालाएं अपना खर्च दूध और
गोबर बेच कर निकालने का प्रयास करती हैं ! जो कमी पड़ती है वह दान से पूरी की जाती
है जो प्राय: आसानी से प्राप्त हो जाता है ! गाड़ियों द्वारा पशुधन को सिर्फ कटने
के लिये ही ले जाया जाता हो ऐसा नहीं है ! पालने के लिये भी पशु गाड़ियों द्वारा ही
ले जाये जाते हैं ! लेकिन जो पशु पालने के लिये ले जाये जाते हैं उन्हें ठूँस-ठूँस
कर नहीं भरा जाता ! उनके साथ यथेष्ट मात्रा में हरे चारे और पीने के पानी का
प्रबंध भी किया जाता है ! कटने के लिये ले जाये जा रहे पशुओं के पैरों को रस्सी या
जंजीरों से बाँध दिया जाता है ! उनको सींगों से भी इस तरह बाँधा जाता है कि उनकी
गर्दन झुक जाए और वह कम स्थान घेरें ! कहीं-कहीं तो एक पशु की पीठ पर दूसरे पशु के
पैर रख कर दोनों को एक साथ ही बाँध दिया जाता है ! खैर यह तो मनुष्य कितना क्रूर
हो सकता है उस विषय की बात हो गयी पर यह बात विचारणीय है कि यदि गोवध के क़ानून सब
राज्यों में एक प्रकार के हों और नागरिक गोवध को रोकने के अभियान में अपना सहयोग
करना चाहते हों तो उन्हें ज़ोर देकर गाय के दूध की माँग को बढ़ाना होगा ! गाय का दूध
स्वास्थ्य के लिये भैंस के दूध से कहीं अधिक फायदेमंद होता है यह बात सभी जानते
हैं ! दूध के अतिरिक्त गाय से प्राप्त अन्य वस्तुओं जैसे गोबर इत्यादि की उपयोगिता
का भी भरपूर विज्ञापन किया जाना चाहिए जिससे गो रक्षा के लिये एक सकारात्मक वातावरण
तैयार किया जा सके और गोवध को रोका जा सके !
साधना वैद