जीवन जीने के लिये दो इतना अधिकार
चुन कर दुःख तुम पर करूँ सुख अपने सब वार !
हर पग पर मिलती रहे तुम्हें जीत पर जीत
फ़िक्र नहीं मुझको मिले कदम कदम पर हार !
बिखराने को पंथ में चुन कर लाई फूल
सँजो लिये अपने हृदय काँटों के गलहार !
चुभे न भूले से कोई शूल तुम्हारे पाँव
सुख मानूँ मुझको मिलें चाहे कष्ट अपार !
गहन तिमिर के कोष्ठ मैं रहूँ भले ही क़ैद
तुम्हें मिले आलोकमय खुशियों का संसार !
अर्पित करने को तुम्हें मिला न कुछ अनमोल
कर लो प्रिय स्वीकार तुम आँसू का उपहार !
स्वप्न सभी साकार हों यश फैले चहुँ ओर
दोहराऊँ शुभकामना मन ही मन सौ बार !
साधना वैद
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