Thursday, January 14, 2016

शुभाशंसा



जीवन जीने के लिये दो इतना अधिकार
चुन कर दुःख तुम पर करूँ सुख अपने सब वार !

हर पग पर मिलती रहे तुम्हें जीत पर जीत
फ़िक्र नहीं मुझको मिले कदम कदम पर हार ! 

बिखराने को पंथ में चुन कर लाई फूल
सँजो लिये अपने हृदय काँटों के गलहार !

चुभे न भूले से कोई शूल तुम्हारे पाँव  
सुख मानूँ मुझको मिलें चाहे कष्ट अपार !

गहन तिमिर के कोष्ठ मैं रहूँ भले ही क़ैद
तुम्हें मिले आलोकमय खुशियों का संसार !

अर्पित करने को तुम्हें मिला न कुछ अनमोल  
कर लो प्रिय स्वीकार तुम आँसू का उपहार !

स्वप्न सभी साकार हों यश फैले चहुँ ओर
दोहराऊँ शुभकामना मन ही मन सौ बार !



साधना वैद


No comments:

Post a Comment