मंगल गाओ
ऋतुराज पधारे
द्वार सजाओ !
फूलों के बाण
सकुचाई सी प्रिया
मुग्ध मदन !
दूर मंज़िल
उदास मधुमास
तुम न पास !
जता देते हैं
भ्रमर के सुगीत
बसंत आया !
प्रेम दिवस
चिरंतन प्रेम को
बौना बनाए !
रंगों का खेल
खेल रही प्रकृति
फूलों के संग !
आम का बौर
सुरभित पवन
कूके कोकिला !
अल्पना सजी
घर आँगन द्वारे
साँझ सकारे !
अल्पना सजी
घर आँगन द्वारे
साँझ सकारे !
पुकारे धरा
आ गया बसंत है
गाये गगन
आ गया बसंत है
आ गया बसंत है !
साधना वैद
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