हाँ ! वो सच्चे वीर
थे
भारत की पावन माटी
के
वो रक्षक रणवीर थे !
सबल सशक्त शत्रु के
आगे
झुके नहीं नत मस्तक
हो !
कमर तोड़ने को शत्रु
की
लड़ते रहे समर्पित हो
!
हँसते-हँसते झूल गये
वो
फाँसी के फंदे को
चूम !
थी उनमें कुछ बात
अनोखी
रहते थे मस्ती में
झूम !
सीमित साधन और
निर्धनता
कभी न आड़े आ पाई !
बड़े–बड़े उनके करतब
से
दुश्मन पर भी बन आई
!
जाने कितने फौत हो
गये
जालियाँवाला बाग में
जाने कितने लटकाए
पेड़ों पर
वन और बाग में !
भगत सिंह, सुख देव,
राजगुरु
अशफाकुल्ला और आज़ाद
जान लुटा दी सबने
अपनी
करने को भारत आज़ाद !
और न जाने कितने ही
दीवानों का लिखा है
नाम
भारत माता की रक्षा
में
हँस कर दे दी अपनी
जान !
काश आज के भारत वासी
याद रखें उनका
बलिदान
जात पात और ऊँच नीच
को
भूल करें उनका
सम्मान !
चलें दिखाए उनके पथ
पर
करें देश पर वो
अभिमान
अपने सत्कर्मों से
रौशन
करें विश्व में अपना
नाम !
साधना वैद
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