संसार की हर माँ के लिये अनंत श्रद्धा एवं कृतज्ञता के साथ
कौन जगाता
कौन करता चोटी
जो माँ न होती
कहती है माँ
आगे तभी बढूँगी
जो मैं पढ़ूँगी
घर न देख
मेरा हौसला देख
बेटी की माँ हूँ
मेरा सपना
पूरा करती है माँ
और मैं माँ का
माँ और बेटी
बम्बे से बाहर का
देखें आकाश
देख लेना माँ
पाइप से बाहर
मैं ले चलूँगी
लक्ष्य है साधा
उज्ज्वल भविष्य पे
पूरा करूँगी
दीदी मारेंगी
टूटा जो है बटन
आज न जाऊँ ?
जाना तो होगा
लगा दिया है पिन
नहीं डाटेंगी
जाऊँगी स्कूल
हर सज़ा कबूल
बख्श दे भूल
करती काम
चाहे बेटी का नाम
माँ को सलाम
रोशन करूँ
ये धरा आसमान
माँ के नाम से
माँ की सिखाई
मानूँगी हर बात
जाऊँगी स्कूल
खूब पढ़ूँगी
सबको पीछे छोड़
आगे बढ़ूँगी
तुझसे अच्छी
और कोई नहीं माँ
सारे जग में
साधना वैद
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