ठहर ज़रा
कितना हँसायेगा
पागल दोस्त !
तेरी औ’ मेरी
कितनी प्यारी दोस्ती
जाने ना कोई
रुक जा भाई
न मचा गुदगुदी
पेट ना दुखा
अपने दाँत
गिन लेने दे मुझे
काटना मत
बुद्धू कहीं का
मत हँस इतना
मम्मा मारेगी
रुक जा बच्चू
खूब खबर लूँगा
डाँट पड़ी तो
पागल है क्या
पिटवाएगा मुझे
माँ आ रही है
खड़ा हुआ हूँ
तुम्हारी वजह से
तीन टांग पे
कैसे दोस्त हो
कितना छकाओगे
थक गया हूँ
हँसी हँसी में
उँगली न काटना
कान खींचूँगा
टेढ़ी सी पूँछ
डरी डरी सी आँखें
जोकर है तू
साधना वैद
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