(१)
भ्रष्ट आचरण का लगा,
नेताजी को रोग
फल इनकी करतूत का,
भुगतें बाकी लोग !
(२)
रूखी सूखी में कटे,
जिनके बीते साल
सत्ता मिलते ही हुए,
कैसे मालामाल !
(३)
वायुयान में जो उडें,
रखें न नीचे पैर
पता चले करनी पड़े,
आम रेल में सैर !
(४)
कुर्सी पाते ही चलें,
ये शतरंजी चाल
घोटालों से जो बचे,
पूछें जन का हाल !
(५)
नेता बनते ही हुए,
तेवर बड़े अजीब
ठानी उनसे दुश्मनी,
जो थे कभी करीब !
(६)
जनता से ही ऐंठ कर,
बाँट रहे उपहार
नेता जी की हो रही,
जग में जयजयकार !
(७)
नेताओं ने देश का,
क्या कर डाला हाल
खुद भोगें सुविधा
सभी, जनता है बदहाल !
(८)
माल सूत कर बढ़ गया,
नेता जी का पेट
चलना भी दुश्वार है,
रहते हैं लमलेट !
(९)
कौन सुने किससे
कहें, मुफलिस की फ़रियाद
जंगल के इस राज में,
खुदगर्ज़ी आबाद !
(१०)
रामराज का हो गया,
सच में बंटाढार
नेता मद में चूर
हैं, जनता है लाचार !
साधना वैद
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