राम जानकी
सतयुगी आदर्श
आज भी पूज्य
न पाया सुख
सम्पूर्ण जीवन में
राजा राम ने
जलते रहे
पुरुषोत्तम राम
विरहाग्नि में
करते रहे
कर्तव्य निर्वहन
वैरागी राम
कद्र न जानी
जानकी के तप की
निष्ठुर लोग
एक निर्णय
जीवन जानकी का
हुआ बेरंग
विवेकी राम
क्रूर कुतर्क आगे
क्यों कर झुके ?
नारी जीवन
सनातन काल से
पराधीन है
नारी अस्मिता
उपेक्षित ही रही
सतयुग से
लगाता रहा
अभियोग सीता पे
क्रूर समाज
सक्षम राम
निरीह बन गए
असत्य आगे
सीता का मान
पुरुषोत्तम राम
बचा न पाए
हारती रही
हर युग में सीता
समक्ष राम
कैसा था धर्म
दण्डित हुईं सीता
राम के हाथों
विवश राम
कर न सके न्याय
सीता हक में
कैसी मर्यादा
खिलौना बने राम
नियति हाथों
राम राज्य में
परित्यक्त की गयीं
निर्दोष सीता
अग्नि परीक्षा
सिद्ध की पवित्रता
न माना कोई
रहीं फिर भी
सवालों के घेरे में
राम की सिया
सम्मान हित
समाईं धरती में
भूमिजा सीता
साधना वैद
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