आया है गणतंत्र का,
शुभ दिन देखो आज
दुल्हन सी दिल्ली
सजी, हर्षित सकल समाज !
संविधान की शान से, दिवस बन गया ख़ास
भारत में लागू हुआ, लोकतंत्र का राज !
गूँज रहे हैं
पार्श्व में, देश भक्ति के गीत
उमड़ पड़ा सारा शहर,
डरा न पाई शीत !
सीना फूला गर्व से, आँख अश्रु से लाल
मर के सम्मानित हुए,
भारत माँ के लाल !
बढ़ते सीना तान के,
पथ पे वीर जवान
कदम मिला कर चल रहे,
ऊँट, अश्व अरु श्वान !
भारत संस्कृति की
छटा, सैन्य शक्ति का जोश
देख विश्व विस्मित
हुआ, प्रजा हुई मदहोश !
बच्चों के उत्साह
की, महिमा अपरम्पार
गीत नृत्य और बैंड
से, मोहा मन हर बार !
अद्भुत करतब देख के,
दर्शक हैं हैरान
ध्वजा बनाते उड़ रहे,
नभ में विकट विमान !
गज पर बैठे शान से, बच्चों के सरताज
उनके अद्भुत शौर्य
पर, गर्वित हर जन आज !
अपने इस गणतंत्र से,
हमें बहुत है प्यार
इसकी रक्षा हित सदा,
मिटने को तैयार !
साधना वैद
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