यह न समझना कि
देश की सर्वोच्च अदालत
से
अपराधियों को कठोरतम
दंड दिलवाकर
उसके साथ हुए जघन्यतम
अपराध की
तनिक भी भरपाई की जा
सकेगी,
चंद हैवानों को फाँसी
पर लटका कर
उस घायल रूह के टीसते
ज़ख्मों की
ज़रा सी भी मरहम पट्टी
की जा सकेगी !
कोई भी न्याय, कोई
भी दंड, कोई भी फैसला
उस काल खंड में घटित
हुए
उस बर्बर कृत्य को
धो पोंछ कर
मिटा नहीं सकता,
और अपार संभावनाओं
से भरे
एक हँसते खेलते, विकसित
होते
अनमोल जीवन का यूँ पाशविकता
की
भेंट चढ़ जाने के
दुर्भाग्य को
घटा नहीं सकता !
मर्मान्तक पीड़ा से
उपजी
उस मासूम की मर्मभेदी
चीखें,
सहायता के लिए याचना
करती
उसकी अवश करुण पुकार,
क्रोध, क्षोभ,
ग्लानि, घृणा,
हताशा और वेदना से
चरम पर पहुँचा उसका
गगनभेदी आर्तनाद
हमारे आसपास की फिज़ाओं
में
आज भी उसी तरह गूँज
रहा है,
यह समाज जो शायद तब
भी
हर अनाचार से आँखें
मूँदे
इसी प्रकार निस्पृह
था
अपराधियों को बचाने के
लिए
निरर्थक दलीलें दे इस
भयावह कटु सत्य से आज
भी
आँखें मूँद रहा है !
उस निर्दोष आत्मा का
प्रेत
अनंत काल तक इन हवाओं
में
इसी तरह घूमता रहेगा,
और जब तक उसकी चीखों
से
हमारे कान इतने बहरे
न हो जाएँ
कि उन चीखों के
अलावा हमें
और कुछ सुनाई ही न
दे,
यह चीत्कार इसी तरह गूँजता
रहेगा !
चंद अमानुषों की
पाशविकता की शिकार
उस निर्दोष युवती की
दिल दहला देने वाली
आर्त पुकार का शायद तब
कुछ असर हो
जब समाज का हर पुरुष
एक नारी के जीवन का
मोल समझना सीख जाए,
और उसकी क्षत विक्षत
रूह को
शायद तब कुछ इन्साफ मिले
जब हर अमानुष नारी को
समुचित
सम्मान देना सीख जाए
!
साधना वैद !
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