Sunday, September 3, 2017

गुरू और शिष्य

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शिक्षक दिवस पर विशेष

गुरू रहे ना देव सम, शिष्य रहे ना भक्त
बदली दोनों की मती, बदल गया है वक्त !

शिक्षक व्यापारी बना, बदल गया परिवेश
त्याग तपस्या का नहीं, रंच मात्र भी लेश !

बच्चे शिक्षक का नहीं, करते अब सम्मान
मौक़ा एक न छोड़ते, करते नित अपमान !

कहते विद्या दान से, बड़ा न कोई दान  
लेकिन लालच ने किया, इसको भी बदनाम !

कोचिंग कक्षा की बड़ी, मची हुई है धूम
दुगुनी तिगुनी फीस भर, माथा जाये घूम !

साक्षरता के नाम पर, कैसी पोलम पोल
नैतिकता कर्तव्य को, ढीठ पी गए घोल !

सच्चे झूठे आँकड़े, भरने से बस काम
प्रतिशत बढ़ना चाहिए, साक्षरता के नाम !

कक्षा नौ में छात्र सब, दिए गए हैं ठेल
जीवन के संघर्ष में, हो जायेंगे फेल !

 ऐसी शिक्षा से भला, किसका होगा नाम !
लिख ना पायें नाम भी, ना सीखा कुछ काम !

करना होगा पितृ सम, शिक्षक को व्यवहार
रखें शिष्य भी ध्यान में, सविनय शिष्टाचार !

अध्यापक और छात्र में, हो न परस्पर भीत  
जैसे भगवन भक्त में, होती पावन प्रीत !

गुरु होते भगवान सम, करिए उनका मान 
विद्यार्थी संतान सम, रखिये उनका ध्यान !


साधना वैद





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