Saturday, October 21, 2017

एकाकी मोरनी



बाट निहारूँ 
कब तक अपना 
जीवन वारूँ 

आ जाओ प्रिय 
तुम पर अपना 
सर्वस हारूँ

सूरज डूबा 
दूर क्षितिज तक 
हुआ अंधेरा

घिरी घटाएं 
रिमझिम बरसें 
टूटे जियरा 

कौन मिला है 
कह दो अब नव
जीवन साथी 

हम भी तो थे 
इस धरती पर 
दीपक बाती

कहाँ बसाया 
किस उपवन में 
नया बसेरा 

मुझे बुझा के  
पल पल अपना 
किया सवेरा  


साधना वैद 






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