शोभित गगन के ललाट पर
ओ करुणाकर भुवन भास्कर,
स्वर्णिम प्रकाश से तुम
उदित हो जाओ
जीवन में मेरे
और आलोकित कर दो
निमिष मात्र में
मेरा यह तिमिरमय संसार,
जगमगा दो
मेरे जीवन का
हर कोना-कोना
कि चुन सकूँ मैं
राह के हर कंकड़ को,
हटा सकूँ पथ की
हर बाधा को
ताकि सुगम्य होकर
प्रशस्त हो जाये
मंज़िल तक का हर मार्ग !
साधना वैद
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