सावन का महीना है ! हर तरफ भोले बाबा के जयकारे लग रहे हैं ! सारा भारत इन दिनों शिवमय हो रहा है और भोले भंडारी की भक्ति में लीन है ! परम भक्ति भाव से लाखों की संख्या में काँवड़िये बड़े कष्ट झेल कर भगवान शिव की यात्रा निकालते हैं और नंगे पाँव चल कर सैकड़ों मील की दूरी तय करते हैं ! उनकी यह आस्था और भक्ति देख कर मन असीम श्रद्धा से भर उठता है !
काँवड़ियों की इस यात्रा में कोई व्यवधान ना आये इसके लिए समाज के लोग भी सजग एवं सतर्क रहते हैं एवं प्रशासन भी हर संभव प्रयास करता है कि उनकी यात्रा में बाधा न आये और उनका काफिला निर्द्वद्व भाव से निकल जाए ! स्थान - स्थान पर उनकी सेवा परिचर्या एवं खाने पीने की व्यवस्था का ध्यान रखते हुए अनेकों शिविर लगाए जाते हैं और प्रशासन भी उनकी प्राथमिकताओं का ध्यान रखते हुए चाक चौबस्त रहता है ! उनके जत्थों के निकलने के समय पर अक्सर ट्रैफिक डाइवर्ट कर दिया जाता है और ध्यान रखा जाता है कि उन सडकों पर यथासंभव कम आवाजाही हो जहाँ से उन्हें निकलना होता है ! कई शहरों में तो स्कूल इत्यादि भी बंद कर दिए जाते हैं कि सड़कें खाली रहें ! लेकिन कभी न कभी कहीं न कहीं से किसी दुर्घटना या किसी अप्रिय प्रसंग के समाचार सुनने को मिल ही जाते हैं !
दिल्ली के मोतीनगर में और बुलंद शहर में हुई घटनाएं हमें सोचने के लिए मजबूर कर देती हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सारे साल छिपे रहने वाले असामाजिक तत्व धर्म और आस्था की आड़ लेकर इन्हीं दिनों हमारे बीच सक्रिय हो जाते हैं और भक्ति भाव के मुखौटों में छिपे उनके असली चेहरों को लोग पहचान नहीं पाते ! ऐसा क्यों होता है कि उनको देख कर हमारी पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था इतनी लाचार और भीरु हो जाती है कि उपद्रवकारी निरंकुश हो हिंसा और गुंडागर्दी पर उतर कर सरे आम मार काट पर उतर आते हैं और वे सिर्फ तमाशाई बन खड़े रह जाते हैं ! काँवड़ियों का यह उपद्रव किसी भी दृष्टिकोण से सही एवं क्षम्य नहीं है ! धार्मिक गतिविधि से जुड़े होने का यह अर्थ कदापि नहीं कि वे सामान्य नागरिक से ऊपर हो गए हैं या सारा अनुशासन एवं कायदा क़ानून उनकी जेब में आ गया है ! ऐसी स्थिति आये तो पुलिस को पूरी सख्ती के साथ उपद्रवकारियों से निबटना चाहिए और आवश्यक्ता हो तो उन्हें दण्डित भी करना चाहिए ताकि जन धन की हानि को रोका जा सके !
कोई धर्म हिंसा की हिमायत नहीं करता ! फिर काँवड़ियों के इस अधार्मिक कृत्य को क्यों नज़रअन्दाज़ किया जाता है ! हर धर्म दया, करुणा, प्रेम और क्षमा का मार्ग दिखाता है हिंसा का नहीं ! फिर ये किस धर्म का पालन कर रहे हैं ?
साधना वैद
No comments:
Post a Comment