कितना देते
फल, फूल, सुगंध
वृक्ष हमारे !
खुश होते हैं
हिला कर पल्लव
वृक्ष साथ में !
जिलाते हमें
देकर प्राण वायु
वृक्ष उदार !
सुन्दर वन
रखते सदा स्वच्छ
पर्यावरण !
सिर्फ देते हैं
कुछ नहीं माँगते
वृक्ष हमसे !
ऊँची डालियाँ
धूप छाहीं जालियाँ
मोहक रूप !
घर का वैद्य
तुलसी का बिरवा
रोगनाशक !
केले का पेड़
हर रूप में भोज्य
स्वाद का पुंज !
तने से बँधे
वटसावित्री पर
आस्था के धागे !
शोभित वृक्ष
धरा के बदन पे
आभूषण से !
सुदृढ़ वृक्ष
कमनीय लताएँ
गाते विहग !
शीतल छाँह
पल्लवों के चँवर
पेड़ों की भेंट !
साजिन्दे वृक्ष
गीत गाती पवन
मगन धरा !
फुदकते हैं
तरु डालियों पर
नन्हे परिंदे !
झूले की पींगें
कजरी के अलाप
नीम का पेड़ !
आम का पेड़
खट्टी मीठी कैरियाँ
यादों का घर !
वृक्षों के जैसा
दूजा परोपकारी
कहाँ मिलेगा !
वृक्ष जागते
जगत जब सोता
बन प्रहरी !
रक्षा वृक्षों की
कर्तव्य है हमारा
मानना होगा !
प्रण लेते हैं
कटने नहीं देंगे
एक भी पेड़ !
साधना वैद
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-06-2019) को "बरसे न बदरा" (चर्चा अंक- 3370) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हरियाले हायकू...
ReplyDeleteसार्थक संदेश!
हार्दिक धन्यवाद वाणी जी ! आपका मेरे ब्लॉग पर पुनरागमन मुझे उल्लासित कर गया है ! इसी तरह आती रहिये ! आभार आपका !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/06/2019 की बुलेटिन, " नाम में क्या रखा है - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शिवम् जी ! सस्नेह वन्दे !
ReplyDeleteवृक्ष हमारी दुनिया के लिये ,जीवन के लिये ,किस तरह आनन्द व सौन्दर्य के निर्धारक हैं ये सुन्दर हाइकू इसका प्रमाण हैं . आप बहुत दिल से लिखतीं हैं दीदी . बहुत ही सुन्दर सृजन .
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