Wednesday, July 31, 2019

रहें सुख से भैया जहाँ हों हमारे !

  














न अब वैसा सावन, न बारिश की बूँदें,
न अब वैसे झूले, जो आकाश छू लें !
न झूले की पींगें, न मीठी मल्हारें,
न कजरी की तानें, न भीगी फुहारें !
न सखियों का जमघट, न मेंहदी के बूटे,
न चूड़ी की छनछन, न चुनरी के गोटे !
न सलमा न मोती, न रेशम के धागे ,
न बहनों की बहसें, रहूँ सबसे आगे !
न चौके में अम्माँ की सौंधी रसोई,
न घेवर न लस्सी, जो घर की बिलोई !
हैं बाज़ार में इक से इक मँहगी राखी,
है मिलता सभी कुछ, नहीं कुछ भी बाकी !
है व्यापार सबमें, सभी कुछ है नकली ,
न मन में मुरव्वत, न है प्यार असली !
मुझे याद आते हैं वो दिन पुराने,
भरे सादगी से मगर थे सुहाने !
निकलती हैं दिल से दुआएँ हमारे
रहें सुख से भैया जहाँ हों हमारे !





साधना वैद 

8 comments:

  1. व्वाहहहह..
    बेहतरीन..
    सादर नमन..

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 1.8.19 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3414 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  3. हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी! आभार आपका!

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  4. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सदर वन्दे !

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  5. ब्लॉग पंच में आपकी इस शानदार पोस्ट की चर्चा की गई है | ब्लॉग लेखको की पोस्ट ज्यादा लोगो तक पहुंचे यही कारण से शूरू किया है " ब्लॉग पंच " कृपया एक बार देखकर अपनी राय वहाँ जरुर रखे https://bit.ly/338eELo

    धन्यवाद ,

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत आभार !

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  6. आपकी इस ब्लॉगपोस्ट की शानदार चर्चा हमारे ब्लॉग पंच के एपिसोड में की गई है ।

    जिसमे हमने 5 ब्लॉग लिंक पर चर्चा की है और उसमें से बेस्ट ब्लॉग चुना जाएगा पाठको की कमेंट के आधार पर ,चर्चा की गई 5 लिंक में से एक ब्लॉग आपका भी है

    ब्लॉग पंच का उद्देश्य मात्र यही है कि आपके ब्लॉग पर अधिक पाठक आये और अच्छे पाठको को अच्छी पोस्ट पढ़ने मीले ।

    एक बार पधारकर आपकी अमूल्य कमेंट जरूर दे

    आपका अपना
    Enoxo multimedia

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  7. हार्दिक धन्यवाद भाई ! आज पहली बार इस कमेन्ट पर नज़र गयी है ! बड़ा सुखद आश्चर्य हो रहा है ! आपने मेरी रचना को इस योग्य समझा आपका ह्रदय से आभार ! आगे से नियमित रूप से ब्लॉग पञ्च को फोलो करूँँगी ! हैरान हूँ कि मुझे इतना समय कैसे लगा आपको ब्लॉग तक पहुँचने में !

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